14. समाज में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आत्मसुरक्षा की सीख देते हुए एक माँ और बेटी का संवाद 50 शब्दों में लिखिए।
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PralinKhaira
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एक दिन एक बाप को गहरी
नींद में मे सपना आया, सपने में
बेटी ने पिताजी कहकर
बतलाया ।मैं भी तो तेरे बाग
की कली थी .
खिलने से पहले मुझको क्यों तुङवाया
।
बाप –
कोन हो बेटी आधी रात को
क्यों आई हो, फूल सा बदन , परी हो या
कोई माई हो, डर मुझको लग रहा है
बेटी, अपना मूझको परिचय बताओ या कोई
परछाई हो॥
बेटी .
-9महीने पहले पिताजी मैं
माँ की गर्म में आई, पत्थर दिल हो गया
पिताजी आपका , आपने मेरी
कैंचियो से कत्ल कराई, क्या बिगाड़ दिया था मेंने आपका ,
आपको थोङी बहूत दया
नहीं आई ॥
बाप– चाहत थी मूझको बेटे
की, बेटी होती
है पराई, जाई , चंचल होती है
बेटी कहीं करदे काला मूंह
इसलिए कली खिलने से पहले तुङवाई ।
बेटी.
पिताजी मेरी माँ
भी तो किसी की
बेटी है क्यो झूठ मूठ। के बकते हो
पिताजी , पिताजी
आपकी माँ भी तो
किसी की बेटी
हैं क्यों रोज रोज माँ माँ रटते हो ।
बाप –
-(लज्जा से) बेटी -बेटो तो घर को वंश
चलावै घर परिवार का मान बढावै बेटे जन्म पर
स्त्री या मंगल गावै दाई आकर थाल बजाए
।मर्द का हो जाए सपना सच इतना मान सम्मान दिलावै
।
बेटी
-बेटी नहीं
होती तो, कोन घर में मंगल गाऐं कोन घर में
करेंगे नृत्य ओर कोन घर में रंगोली बनाऐं
। बिन बेटी के सब सून कौन आगे वंश
बढावै, नहीं चलता समय का चक्कर कौन
माँ का हाथ बंटाऐ ।
बाप
-बेटी ! अभी आपने जन्म
नहीं लिया है जिसने जन्म लिया उनका
हाल क्या है ? दहेज के लोभी तो
बङी होने पर मारे , मैंने तो भ्रूण हत्या
करवाई इसमें बुराई क्या है।
बेटी..
पिताजी आप बङे हत्यारे हो, मूझको मारो
मेरी माँ को क्यों दुःख देते हो, उसने
आपका क्या बिगाड़ा, रोज , जहर के इन्जेक्शन देते
हो ।
बेटी.
-बेटी! मैंने नहीं तो
किसी की कत्ल करवाई ,
बाङ,
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एक दिन एक बाप को गहरी
नींद में मे सपना आया, सपने में
बेटी ने पिताजी कहकर
बतलाया ।मैं भी तो तेरे बाग
की कली थी .
खिलने से पहले मुझको क्यों तुङवाया
।
बाप –
कोन हो बेटी आधी रात को
क्यों आई हो, फूल सा बदन , परी हो या
कोई माई हो, डर मुझको लग रहा है
बेटी, अपना मूझको परिचय बताओ या कोई
परछाई हो॥
बेटी .
-9महीने पहले पिताजी मैं
माँ की गर्म में आई, पत्थर दिल हो गया
पिताजी आपका , आपने मेरी
कैंचियो से कत्ल कराई, क्या बिगाड़ दिया था मेंने आपका ,
आपको थोङी बहूत दया
नहीं आई ॥
बाप– चाहत थी मूझको बेटे
की, बेटी होती
है पराई, जाई , चंचल होती है
बेटी कहीं करदे काला मूंह
इसलिए कली खिलने से पहले तुङवाई ।
बेटी.
पिताजी मेरी माँ
भी तो किसी की
बेटी है क्यो झूठ मूठ। के बकते हो
पिताजी , पिताजी
आपकी माँ भी तो
किसी की बेटी
हैं क्यों रोज रोज माँ माँ रटते हो ।
बाप –
-(लज्जा से) बेटी -बेटो तो घर को वंश
चलावै घर परिवार का मान बढावै बेटे जन्म पर
स्त्री या मंगल गावै दाई आकर थाल बजाए
।मर्द का हो जाए सपना सच इतना मान सम्मान दिलावै
।
बेटी
-बेटी नहीं
होती तो, कोन घर में मंगल गाऐं कोन घर में
करेंगे नृत्य ओर कोन घर में रंगोली बनाऐं
। बिन बेटी के सब सून कौन आगे वंश
बढावै, नहीं चलता समय का चक्कर कौन
माँ का हाथ बंटाऐ ।
बाप
-बेटी ! अभी आपने जन्म
नहीं लिया है जिसने जन्म लिया उनका
हाल क्या है ? दहेज के लोभी तो
बङी होने पर मारे , मैंने तो भ्रूण हत्या
करवाई इसमें बुराई क्या है।
बेटी..
पिताजी आप बङे हत्यारे हो, मूझको मारो
मेरी माँ को क्यों दुःख देते हो, उसने
आपका क्या बिगाड़ा, रोज , जहर के इन्जेक्शन देते
हो ।
बेटी.
-बेटी! मैंने नहीं तो
किसी की कत्ल करवाई ,
बाङ,