14वें वित्त आयोग की प्रमुख सिफारिशों का वर्णन कीजिए
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Explanation:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 में वित्त आयोग की स्थपाना की व्यवस्था की गयी है. इसका गठन 5 वर्षों के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है. अब तक 13 वित्त आयोग गठित किया चुके हैं और वर्तमान में 14 वें वित्त आयोग का कार्यकाल (2015-2020) चल रहा है. 14 वें वित्त आयोग का गठन रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर Y.V. रेड्डी की अध्यक्षता में किया गया है. इसने अन्य सदस्यों के नाम हैं: सुषमा नाथ, M. गोविंदा राव, डॉ सुदिप्तो मंडल और अभिजीत सेन.
वित्त आयोग का गठन क्यों किया जाता है?
जैसा कि हमें पता है कि भारत एक संघीय संरचना वाला देश है और यहाँ पर राज्यों के पास कर लगाने के अधिकार कम होने के कारण उनकी आय के स्रोत भी कम हैं. ज्यादातर कर जैसे आयकर, उत्पाद कर, सीमा शुल्क, बिक्री कर और एंटी डंपिंग ड्यूटी आदि लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है और इन्ही करों से करों का बहुत बाद हिस्सा बनता है. ऐसी परिस्तिथियों में राज्यों को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार का मुंह ताकना पड़ता है. इसी कारण राष्ट्रपति इन राज्यों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्त आयोग का गठन करता है.
अर्थात वित्त आयोग हर 5 साल के बाद केंद्र से यह सिफारिश करता है कि वह अपने कुल करों के कितने प्रतिशत हिस्से को राज्यों में बांटे.
राज्यों के बीच कर की राशि को बाँटने का क्या पैमाना (criteria) है?
आयोग ने राज्यों के बीच कर के बंटवारे को निम्न 5 आधारों पर बाँटने का फैसला किया है ये हैं:
1. जनसँख्या (1971) को 17.5% का भार दिया गया है.
2. जनसांख्यिकीय बदलाव को 10% का भारांक दिया गया है.
3. आय असमानता को 50% भारांक
4. प्रदेश के क्षेत्रफल को 15% भारांक
5. वन आवरण (forest cover) का भारांक 7.5% है