15. सूरत शहर से
आप एक विदेशी की भारत यात्रा के बारे में पढ़ेंगे और समझ सकेंगे कि हिंदरवार
कबार में दुनिया की क्या राय रही है। यह यात्रा-कथा है - निकोलाई मनूची की।
में अपने अंग्रेज़ स्वामी ब्लामाउंट के साथ 12 जनवरी, 1653 को सूरत पहुँचा। वे मुझे अपना
नौकर नहीं बल्कि बेटा समझते थे। जैसे ही जहाज़ सूरत के बंदरगाह पर खड़ा हुआ, मेरे
स्वामी ब्लामाउंट ने मझसे कहा कि मैं सामान की देखभाल करूँ। वे अकेले किनारे पर
उतरेंगे और सबसे पहले किसी हमदर्द अंग्रेज़ व्यापारी से मुलाकात करेंगे। मेरे स्वामी बहन
परेशान थे। इंगलैंड के राजा ने राजदूत को जो पत्र दिए थे, वे नष्ट हो चुके थे और उनके
पास यात्रा-व्यय भी लगभग खत्म हो चुका था।
मेरे स्वामी मुझे जहाज़ पर छोड़कर चले गए थे। चार घंटे बाद जब मिस्टर ब्लामाउंट
वापस आए तो वे खुश थे। वे सूरत के मुगल गवर्नर से मुलाकात कर चुके थे और
बता चुके थे कि वे इंगलैंड के राजदूत के रूप में हिंदुस्तान आए हैं और सम्राट शाहजहाँ
से मुलाकात करना चाहते हैं। सूरत में
उसी दिन हमारे ठहरने का उचित प्रबंध
कर दिया गया।
Answers
Answered by
0
Answer:
apke is prasn ka tatperya kya hai
Similar questions