15: श्रम-सहिष्णु सब जन होते हैं,
आलस में न पड़े सोते है।
दिन-दिन भर खेतों में रहकर,
करते रहेते काम निरन्तर।।
पद्य की व्याख्या, सप्रसंग कीजिए।
Answers
Answered by
1
श्रम-सहिष्णु सब जन होते हैं,
आलस में न पड़े सोते है।
दिन-दिन भर खेतों में रहकर,
करते रहेते काम निरन्तर।।
सप्रसंग : यह पंक्तियाँ ग्राम्य जीवन कविता से ली गई है | प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने गाँव के लोगों की अच्छाइयों को बता रहे है |
व्याख्या : गाँव के लोग बहुत मेहनती होते है | वह कभी भी काम के लिए आलस नहीं करते है | वह पूरा दिन , धूप हो या बारिश हमेशा काम करते रहते है | वह अपने काम को भगवान मानते है | वह कभी भी काम चोरी नहीं करते है | अपने खेतों की पूजा करते है | अपना सारा जीवन में अपने काम को देते है |
Similar questions
Chemistry,
1 month ago
English,
1 month ago
Social Sciences,
1 month ago
Biology,
2 months ago
CBSE BOARD XII,
9 months ago
Math,
9 months ago