- 15. "तारिकायाम्” शब्दस्य पर्यायपदानि लिखत (क) नक्षत्रम् (ख) तातः (ग) सुर्यः (घ) गुरूकुलः
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घ
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because it's a school I don't know
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I know it
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संत कबीरदास हिंदी साहित्य के भक्ति काल के इकलौते ऐसे कवि हैं, जो आजीवन समाज और लोगों के बीच व्याप्त आडंबरों पर कुठाराघात करते रहे। वह कर्म प्रधान समाज के पैरोकार थे और इसकी झलक उनकी रचनाओं में साफ़ झलकती है। लोक कल्याण हेतु ही मानो उनका समस्त जीवन था। कबीर को वास्तव में एक सच्चे विश्व - प्रेमी का अनुभव था।
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