15.विभाव , अनुभाव और संचारी भावों की सहायता से क्या रस रूप में परिणत हो जाते हैं- [ 1 ] ( क ) भाव ( ख ) स्थायी भाव ( ग ) संचारी भाव ( घ ) व्यभिचारी भाव❤❤❤
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15.विभाव , अनुभाव और संचारी भावों की सहायता से क्या रस रूप में परिणत हो जाते हैं- [ 1 ] ( क ) भाव ( ख ) स्थायी भाव ( ग ) संचारी भाव ( घ ) व्यभिचारी भाव
इसका सही जवाब होगा,
स्थायी भाव
व्याख्या :
विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से सहायता से स्थाई भाव रस रूप में परिणत हो जाते हैं। स्थायी भाव को रस का प्रारंभिक स्वरूप माना जाता है। विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के सहायता से स्थायी के रूप परिणत हो जाते हैं। स्थायी भाव मनुष्य के मन में सदा विद्यमान रहते हैं। स्थायी भाव सामान्य रूप से सुसुप्तावस्था में रहते हैं लेकिन इन्हें जागृत और उद्दीप्त करने के लिए विभावों की आवश्यकता पड़ती है।
विभाव के कारण स्थायी भाव जागृत एवं उद्दीप्त हो जाते हैं। अनुभाव शारीरिक विकारों को व्यक्त करते हैं। संचारी स्थायी भाव को पुष्ट करने के लिए उत्पन्न हो जाते हैं। इस प्रकार विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव के सहयोग से स्थायी भाव जागृत एवं उद्दीप्त होकर रस के रूप में परिणत हो जाते हैं। इसी आधार पर रस को नौ रसों में बांटा गया है।
Answer:
इसका सही जवाब होगा,
स्थायी भाव
Explanation:
विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से सहायता से स्थाई भाव रस रूप में परिणत हो जाते हैं। स्थायी भाव को रस का प्रारंभिक स्वरूप माना जाता है। विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के सहायता से स्थायी के रूप परिणत हो जाते हैं। स्थायी भाव मनुष्य के मन में सदा विद्यमान रहते हैं। स्थायी भाव सामान्य रूप से सुसुप्तावस्था में रहते हैं लेकिन इन्हें जागृत और उद्दीप्त करने के लिए विभावों की आवश्यकता पड़ती है।
विभाव के कारण स्थायी भाव जागृत एवं उद्दीप्त हो जाते हैं। अनुभाव शारीरिक विकारों को व्यक्त करते हैं। संचारी स्थायी भाव को पुष्ट करने के लिए उत्पन्न हो जाते हैं। इस प्रकार विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव के सहयोग से स्थायी भाव जागृत एवं उद्दीप्त होकर रस के रूप में परिणत हो जाते हैं। इसी आधार पर रस को नौ रसों में बांटा गया है।