150-200 words on अविस्मरणीय घटना
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जीवन की अविस्मरणीय घटना पर निबंध | Essay on Unforgettable Incident in My Life in Hindi
unforgettable incident in my life essay, unforgettable moment in my life in Hindi, unforgettable incident of childhood in Hindi, mera yadgar din essay in Hindi: हमारा जीवन एक नदी के समान हैं. इसमें उतार चढ़ाव आते रहते हैं. हमारे जीवन में घटित घटनाएं होती रहती हैं. कई घटनाएं ऐसी होती हैं. जो हमारे मानस पटल पर छायी रहती हैं. और जो भुलाएँ नहीं भूलती हैं. यहाँ एक ऐसी ही आँखों देखी घटना का वर्णन किया जा रहा हैं. जिसकों मैं कभी भूला नहीं पाउगा.
यात्रा का उद्देश्य व कार्यक्रम- दीपावली की छुट्टियों में मैं अपने मामा के घर अजमेर गया. सभी से मिला, प्रसन्नता हुई. आस पडोस और मामाजी के बच्चों के साथ खेलते हुए दिन कब बीत जाता है, इसका पता ही नहीं चलता हैं. एक दिन हम सभी ने पुष्कर नहाने की योजना बनाई. मामाजी से आज्ञा लेकर हम पांच जने बस द्वारा पुष्कर नहाने के लिए गये.मनोरम प्रसंग- पुष्कर पहुचकर देखा कि वहां अपार भीड़ थी. ग्रामीण रंग बिरंगी पोशाके पहने आनन्द ले रहे थे. सरोवर घाट पर बच्चे, आदमी, औरतें सभी स्नान कर रहे थे. मैं भी अपने साथियों के साथ नहाने के लिए जल में घुसा, उसी समय मैंने देखा कि एक महिला ने पहले स्नान किया, फिर वह लगभग आठ वर्ष के अपने बालक को नहलाने लगी. बालक अपनी चंचलता के कारण अपनी माँ के हाथों से छूट गया और गहरे पानी की ओर चला गया. बालक पानी के अंदर डूबने लगा, यह देखकर माँ रोने और चिल्लाने लगी.
घटित घटना और अविस्मरणीय दृश्य- माँ के रोने और चीखने की आवाज को सुनकर लोगों की भीड़ एकत्र हो गई. सभी डूबते बालक पर नजरे लगाए हुए थे. जब वह पानी के उपर नहीं आया तो गोताखोरों ने बालक की तलाश की लेकिन उन्हें भी उस डूबे बालक का शव नहीं मिला.
इतने में ही सरोवर के बीच में कुछ काली सी वस्तु दिखाई दी. आशा की लहर जगी. मल्लाह लोग और तैराक उस वस्तु की ओर गये. उन्हें थोड़ी दूर पर बालक का हाथ दिखाई दिया. और दुसरे ही क्षण दिखाई दिया कि एक बालक को मुहं में दबाएँ उपर आया और एकदम दूर चला गया. मगर के जबड़े में बालक का कटा हुआ पंजा पानी में सूखे पत्ते की तरह तैर रहा था.
इस भयानक दृश्य को देखकर खड़ी भीड़ के कलेजे की धड़कने बढने लगी. चारों ओर सन्नाटा छा गया. यह देखकर बालक की माँ रोते रोते बेहोश हो गई. मैं इस दृश्य को देखने में असमर्थ था और दुखी मन से अपने साथियों के साथ वापिस आ गया.
उपसंहार- मैंने जीवन में अनेक घटनाएं देखी, परन्तु ऐसी करूण घटना जीवन में अभी तक एक ही बार देखी. उसे बार बार भूलने का प्रयत्न करने पर भी वह दृश्य मेरी आँखों के सामने आ जाता हैं. और मैं शोक विहल हो जाता हूँ. मेरे जीवन के लिए तो यह एक अविस्मरणीय घटना हैं. इसे मैं कभी नहीं भूल सकूगा.
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unforgettable incident in my life essay, unforgettable moment in my life in Hindi, unforgettable incident of childhood in Hindi, mera yadgar din essay in Hindi: हमारा जीवन एक नदी के समान हैं. इसमें उतार चढ़ाव आते रहते हैं. हमारे जीवन में घटित घटनाएं होती रहती हैं. कई घटनाएं ऐसी होती हैं. जो हमारे मानस पटल पर छायी रहती हैं. और जो भुलाएँ नहीं भूलती हैं. यहाँ एक ऐसी ही आँखों देखी घटना का वर्णन किया जा रहा हैं. जिसकों मैं कभी भूला नहीं पाउगा.
यात्रा का उद्देश्य व कार्यक्रम- दीपावली की छुट्टियों में मैं अपने मामा के घर अजमेर गया. सभी से मिला, प्रसन्नता हुई. आस पडोस और मामाजी के बच्चों के साथ खेलते हुए दिन कब बीत जाता है, इसका पता ही नहीं चलता हैं. एक दिन हम सभी ने पुष्कर नहाने की योजना बनाई. मामाजी से आज्ञा लेकर हम पांच जने बस द्वारा पुष्कर नहाने के लिए गये.
मनोरम प्रसंग- पुष्कर पहुचकर देखा कि वहां अपार भीड़ थी. ग्रामीण रंग बिरंगी पोशाके पहने आनन्द ले रहे थे. सरोवर घाट पर बच्चे, आदमी, औरतें सभी स्नान कर रहे थे. मैं भी अपने साथियों के साथ नहाने के लिए जल में घुसा, उसी समय मैंने देखा कि एक महिला ने पहले स्नान किया, फिर वह लगभग आठ वर्ष के अपने बालक को नहलाने लगी. बालक अपनी चंचलता के कारण अपनी माँ के हाथों से छूट गया और गहरे पानी की ओर चला गया. बालक पानी के अंदर डूबने लगा, यह देखकर माँ रोने और चिल्लाने लगी.
घटित घटना और अविस्मरणीय दृश्य- माँ के रोने और चीखने की आवाज को सुनकर लोगों की भीड़ एकत्र हो गई. सभी डूबते बालक पर नजरे लगाए हुए थे. जब वह पानी के उपर नहीं आया तो गोताखोरों ने बालक की तलाश की लेकिन उन्हें भी उस डूबे बालक का शव नहीं मिला.
इतने में ही सरोवर के बीच में कुछ काली सी वस्तु दिखाई दी. आशा की लहर जगी. मल्लाह लोग और तैराक उस वस्तु की ओर गये. उन्हें थोड़ी दूर पर बालक का हाथ दिखाई दिया. और दुसरे ही क्षण दिखाई दिया कि एक बालक को मुहं में दबाएँ उपर आया और एकदम दूर चला गया. मगर के जबड़े में बालक का कटा हुआ पंजा पानी में सूखे पत्ते की तरह तैर रहा था.
इस भयानक दृश्य को देखकर खड़ी भीड़ के कलेजे की धड़कने बढने लगी. चारों ओर सन्नाटा छा गया. यह देखकर बालक की माँ रोते रोते बेहोश हो गई. मैं इस दृश्य को देखने में असमर्थ था और दुखी मन से अपने साथियों के साथ वापिस आ गया.
उपसंहार- मैंने जीवन में अनेक घटनाएं देखी, परन्तु ऐसी करूण घटना जीवन में अभी तक एक ही बार देखी. उसे बार बार भूलने का प्रयत्न करने पर भी वह दृश्य मेरी आँखों के सामने आ जाता हैं. और मैं शोक विहल हो जाता हूँ. मेरे जीवन के लिए तो यह एक अविस्मरणीय घटना हैं. इसे मैं कभी नहीं भूल सकूगा.