English, asked by sanjayshrivas45678, 8 months ago

150 का इंग्लिश में ऐसे लोकतंत्र सभा के सफल मंत्री​

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Answered by brainliestnp
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लोकतंत्र (शाब्दिक अर्थ "लोगों का शासन", संस्कृत में लोक, "जनता" तथा तंत्र, "शासन",) या प्रजातंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था और लोकतांत्रिक राज्य दोनों के लिये प्रयुक्त होता है। यद्यपि लोकतंत्र शब्द का प्रयोग राजनीतिक सन्दर्भ में किया जाता है, किन्तु लोकतंत्र का सिद्धान्त दूसरे समूहों और संगठनों के लिये भी संगत है। मूलतः लोकतंत्र भिन्न-भिन्न सिद्धान्तों के मिश्रण बनाती हैै।

लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिसके अंतर्गत जनता अपनी मर्जी से चुनाव में आए हुए किसी भी दल को वोट देकर अपना प्रतिनिधि चुन सकती है ,तथा उसकी सत्ता बना सकती है। लोकतंत्र दो शब्दों से मिलकर बना है ,लोक + तंत्र लोक का अर्थ है जनता तथा तंत्र का अर्थ है शासन!

• बहुसंख्यक जनसमुदाय, जो गैर-अभिजनवर्ग का निर्मायक है, में अधिकांश भावशून्य, आलसी और उदासीन होते हैं, इसलिए एक ऐसा अल्पसंख्यक वर्ग का होना आवश्यक है जो नेतृत्व प्रदान करे।

• अभिजन सिद्धान्त के अनुसार आज के जटिल समाज में कार्यक्षमता के लिए विशेषज्ञता आवश्यक है और विशेषज्ञों की संख्या हमेशा कम ही होती है। अतः राजनैतिक नेतृत्व ऐसे चुनिंदा सक्षम लोगों के हाथ में होना आवश्यक है।

• लोकतंत्र मात्र एक ऐसी कार्यप्रणाली है जिसके द्वारा छोटे समूहों में से एक जनता के न्युनतकम अतिरिक्त समर्थन से शासन करता हैं अभिजनवादी सिद्धान्त यह भी मानता है कि अभिजन वर्गों- राजनीतिक दलों, नेताओं, बड़े व्यापारी घरानों के कार्यपालकों, स्वैच्छिक संगठनों के नेताओं और यहां तक कि श्रमिक संगठनों के बीच मतैक्य आवश्यक है ताकि लोकतंत्र की आधारभूत कार्यप्रणाली को गैर जिम्मदार नेताओं से बचाया जा सके।

• सहभागिता सिद्धान्त के समर्थकों के अनुसार लोकतंत्र वास्तविक अर्थ प्रत्येक व्यक्ति की समान सहभागिता है, न कि मात्र सरकार को स्थायी बनाए रखना जैसा कि अभिजनवादी अथवा बहुलवादी सिद्धान्तकार मान लेते हैं। सच्चे लोकतंत्र का निर्माण तभी हो सकता है जब नागरिक राजनीतिक दृष्टि से सक्रिय हों और सामूहिक समस्याओं में निरंतर अभिरूचि लेते रहें। सक्रिय सहभागिता इस लिए आवश्यक है ताकि समाज की प्रमुख संस्थाओं के पर्याप्त विनिमय हों और राजनीतिक दलों में अधिक खुलापन और उत्तरदायित्व के भाव हों।

• सहभागी लोकतंत्र के सिद्धान्तकारों के अनुसार यदि नीतिगत निर्णय लेने का जिम्मा केवल अभिजन वर्ग तक सीमित रहता है तो उसके लोकतंत्र का वास्तविक स्वरूप बाधित होता है। इसलिए वे इसमें आम आदमी की सहभागिता की वकालत करते हैं। उनका मानना है कि यदि लोकतांत्रिक अधिकार कागज के पन्नों अथवा संविधान के अनुच्छेदों तक ही सीमित रहे तो उन अधिकारों का कोई अर्थ नहीं रह जाता, अतः सामान्य लोगों द्वारा उन अधिकारों का वास्तविक उपभोग किया जाना आवश्यक है।

• लोकतंत्र राज्य का एक स्वरूप है और वर्ग-विभाजित समाज में सरकार अधिनायकवादी और लोकतांत्रिक दोनों होती है। यह एक वर्ग के लिए लोकतंत्र है तो दूसरे के लिए अधिनायकवाद। बुर्जुआ वर्ग चुंकि अपने हित साधन में पूंजीवादी प्रणाली को नियंत्रित और संचालित करता है, इसलिए उसे सत्ता से बेदखलकर समाजवादी लोकतंत्र को स्थापित करना आवश्यक है।

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Answered by dilliprasaddhakal528
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लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिसके अंतर्गत जनता अपनी मर्जी से चुनाव में आए हुए किसी भी दल को वोट देकर अपना प्रतिनिधि चुन सकती है ,तथा उसकी सत्ता बना सकती है। लोकतंत्र दो शब्दों से मिलकर बना है ,लोक + तंत्र लोक का अर्थ है जनता तथा तंत्र का अर्थ है शासन!

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