Hindi, asked by prakratichhatri07, 15 hours ago

150 शब्द में कृष्ण के प्रति गोपियों का प्रेम ​

Answers

Answered by itsurheart
17

Answer:

here is ur ans

。:゚(itsurheart)゚:。

Explanation:

भगवान कृष्ण का सम्पूर्ण जीवन महान् कार्यों और घटनाओं से भरा रहा था। उन्होंने अपने बचपन के केवल 16 वर्ष ब्रज में बिताये थे और उसके बाद ब्रज को हमेशा के लिए छोड़ दिया था। इन 16 वर्षों में उन्होंने कुछ राक्षसों को मारने के अलावा कोई बड़ा कार्य नहीं किया था, लेकिन अपने सहज स्नेह से सभी ब्रजवासियों का हृदय इस प्रकार जीत लिया था कि आज भी ब्रजवासी उनको याद करते हैं।

बहुत से लोग कृष्ण पर गोपियों के साथ छेड़छाड़ करने और अन्य अनुचित आरोप लगाते हैं। ये आरोप पूरी तरह असत्य हैं। कोई चोर, लम्पट या लड़कियों को छेड़ने वाला व्यक्ति उनका प्रेम नहीं जीत सकता। गोपियाँ उनकी बाल-सुलभ क्रीड़ाओं और वंशी बजाने के कारण उनसे प्रेम करती थीं। वे सभी विवाहित महिलाएँ थीं और उनका प्रेम निश्छल था। वैसा ही कृष्ण का भी था। द्वारिका जाने के बाद जब उद्धव जी कृष्ण का संदेश लेकर गोपियों के पास पहुँचे, तो उनके प्रेम को देखकर दंग रह गये। गोपियों ने उनसे कहा- “उद्धव जी महाराज, आप अपना ज्ञान अपने पास रखिये। हमें नहीं चाहिए आपका ज्ञानी, ध्यानी, पराक्रमी कृष्ण। हमें तो अपना वही नटखट, गाय चराने वाला, माखन चुराने वाला, वंशी बजाने वाला, मन मोहने वाला कृष्ण चाहिए।” प्रेम की यह पराकाष्ठा देखकर उद्धव जी अपना सारा ज्ञान भूल गये।

जहाँ तक कृष्ण और राधा के प्रेम की बात है, पूरे महाभारत में एक बार भी राधा का नाम नहीं आया है, हालांकि उसमें किसी अन्य गोपी का नाम भी नहीं है। राधा भी उन्हीं गोपियों में से एक रही होगी। वैसे उसे रिश्ते में कृष्ण की मामी बताया जाता है। यह सम्भव है कि उसका प्रेम कृष्ण के प्रति कुछ अधिक रहा हो। ब्रज को छोड़ते समय कृष्ण अपनी प्रिय वंशी राधा को ही अपनी निशानी के रूप में दे गये थे। उसके बाद उन्होंने जीवनभर कभी वंशी नहीं बजायी। यह त्याग और निश्छल प्रेम की पराकाष्ठा नहीं तो क्या है? ऐसे पवित्र सम्बंध को कलंकित करना अनुचित ही नहीं घोर पातक है।

ब्रज छोड़ने के बाद जीवनभर कृष्ण एक बार भी ब्रज में नहीं गये। न कभी नन्द बाबा से मिले, न यशोदा मैया से। न गोप बालकों से मिले, न गोपियों से। लेकिन एक क्षण को भी वे ब्रज को भूल नहीं पाये। मैं स्वयं ब्रजवासी होने के कारण जानता हूँ कि ब्रजवासी कृष्ण के प्रति कैसी भावना रखते हैं। कभी वापस ब्रज न लौटने का उलाहना वे कृष्ण को आज भी देते हैं। उन्होंने कृष्ण को छलिया, ठग, नटवर, निर्मोही, घमंडी जैसे कई नाम दिये, लेकिन उनको प्रेम करना बन्द नहीं किया। कृष्ण और राधा के बहाने उन्होंने अपनी प्रेम भावनायें व्यक्त की हैं। ‘तू आ जा रे मोहन प्यारे, तुझे राधा बुलाती है।’

प्रेम की भावनायें मनुष्य में स्वाभाविक हैं। अन्य समाजों में इनको व्यक्त करने के अन्य तरीके हैं। रोमियो-जूलियट, लैला-मँजनू, शीरीं-फ़रहाद, हीर-राँझा जैसी अनेक प्रेम कहानियाँ संसार में प्रचलित हैं। लेकिन भारत में राधा और कृष्ण के माध्यम से प्रेम की भावनायें प्रकट की जाती हैं। इसमें धर्म और अध्यात्म का भी अंश होने के कारण लौकिक प्रेम सीमा के भीतर ही रहता है और विकृत रूप लेने से बच जाता है।

भगवान कृष्ण का चरित्र कितना महान् था, इसका एक प्रमाण महाभारत में मिलता है। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में अग्र पूजा के समय कृष्ण के सगे फुफेरे भाई शिशुपाल ने कृष्ण की निन्दा में तमाम तरह की बातें कहीं, लेकिन लम्पटता का आरोप तो उसने भी नहीं लगाया। इसके विपरीत उसने कृष्ण को ‘नपुंसक’ कहा। इससे सिद्ध होता है कि कृष्ण वास्तव में चरित्रवान् और जितेन्द्रिय थे, क्योंकि प्रायः ऐसे लोगों को ही नपुंसक कहकर गाली दी जाती है।

कृष्ण ने केवल एक विवाह किया था रुकमिणी के साथ। उनकी सहमति से कृष्ण ने उनका हरण किया और फिर विधिवत् विवाह किया था। बहुत बाद में उनको सामाजिक दबाब से बाध्य होकर सत्राजित् की पुत्री सत्यभामा के साथ विवाह करना पड़ा था।

hope it helps you dear ☺️

Similar questions