Hindi, asked by namanjaiswal1906, 7 months ago

(150 words) कहानी महायज्ञ पुरस्कार का संदेश देते हुए मुख्य पात्रों का चित्र चित्र चित्रण लिखो सेठ ;सेठानी; धन्ना सेठ की पत्नी​

Answers

Answered by dholpuriyalalita
0

एक धनी सेठ था . वह स्वभाव से अत्यंत विनर्म , उदार और धर्मपरायण व्यक्ति था .कोई साधू संत उसके द्वार से खाली वापस नहीं लौटता था . वह अत्यंत दानी था .जो भी उसके सामने हाथ फैलता था , उसे दान अवश्य मिलता था . उसकी पत्नी भी अत्यंत दयालु व परोपकारी थी . अकस्मात् दिन फिर और सेठ को गरीबी का मुख देखना पड़ा . नौबत ऐसी आ गयी की भूखों मरने की हालत हो गयी . उन दिनों एक प्रथा प्रचलित थी . यज्ञ के पुण्य का क्रय – विक्रय किया जाता था . सेठ – सेठानी ने निर्णय लिया किया की यज्ञ के फल को बेच कर कुछ धन प्राप्त किया जाय ताकि गरीबी कुछ गरीबी दूर हो .सेठ के यहाँ से दस – बारह कोस की दूरी पर कुन्दनपुर नाम का क़स्बा था . वहां एक धन्ना सेठ रहते थे . ऐसी मान्यता थी की उनकी पत्नी को दैवी शक्ति प्राप्त है और वह भूत – भविष्य की बात भी जान लेती थी .मुसीबत से घिरे सेठ – सेठानी ने कुन्दनपुर जाकर उनके हाथ यग्य का पुण्य बेचने का निर्णय लिया . सेठानी पड़ोस के घर से आता माँग चार रोटियां बनाकर सेठ को दे दी . सेठ तड़के उठे और कुन्दनपुर की ओर चल पड़े. गर्मी के दिन थे . रास्ते में एक बाग़ देखकर उन्होंने सोचा की विश्राम कर थोडा भोजन भी कर लें . सेठ ने जैसे ही अपनी रोटियाँ निकाली तो उसके सामने एक मरियल सा कुत्ता नज़र आया . सेठ को दया आई और उन्होंने एक – एक करके अपनी साड़ी रोटियाँ कुत्ते को खिला दी . स्वयं पानी पीकर कुन्दनपुर पहुँचे तो धन्ना सेठ की पत्नी ने कहा कि अगर आप आज का किया हुआ महायज्ञ को बेचने को तैयार हैं तो हम उसे खरीद लेंगे अन्यथा नहीं .सेठ जी अपने महायज्ञ को बेचने को तैयार नहीं हुए ,वह खाली हाथ लौट आये . अगले दिन ही सेठ जी अपने घर की दहलीज़ के नीचे गडा हुआ खज़ाना मिला . उसने जो मरियल कुत्ते को अपनी रोटी खिलाई थी ,यह खज़ाना उसी महायज्ञ का पुरस्कार था . ईश्वर भी उन्ही की सहायता करता जो गरीब ,दुखिया ,निश हाय की सहायता करता है .हमारे अच्छे कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते है .हमें हमेशा अच्छे कर्म करते रहने चाहिए तभी जीवन सुफल होगा

Similar questions