16. पत्रा ही तिथि पाइयत, वा घर के चहुँ पास।
नित प्रति पूनौ ही रहै, आनन ओष उजास । please send answer quickly and correctly
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➲ कवि बिहारी की सतसई के इस दोहे का भावार्थ इस प्रकार है...
पत्रा ही तिथि पाइयत, वा घर के चहुँ पास।
नित प्रति पूनौ ही रहै, आनन ओष उजास ।
व्याख्या ⦂ नायिका के घर के आसपास प्रकाश ही प्रकाश ही रहता है। नायिका का मुख भी पूर्णिमा के चाँद की तरह दमकता रहता है। नायिका और उसके आसपास पूर्णिमा जैसा वातावरण रहता है, इस कारण यदि किसी को तिथि की जानने की जरूरत हो तो उसे पचांग की सहायता लेनी पड़ती है, क्योंकि नायिका के घर के वातावरण से उसे रोज ही पूर्णिमा का आभास होता है।
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sleesh alankar..........
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