Hindi, asked by mdkhan829878, 2 months ago

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'यह दीप' के कवि हैं:​

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Answered by shishir303
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‘यह दीप अकेला’ के कवि हैं....

‘ये दीप अकेला’ कविता के कवि “सचिदानन्द हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय” हैं।

‘यह दीप अकेला’ कविता के माध्यम से कवि अज्ञेय जी ने दीप को मनुष्य का प्रतीक बनाकर मनुष्य और दीप की तुलना की है। कवि का कहना है कि दीप अकेला होता है, उसी तरह मनुष्य भी संसार में अकेला आता है। दीप तेल के कारण जलता है, मनुष्य भी स्नेह रूपी तेल के कारण जीवित रहता है। दीप अपने प्रकाश से संसार को प्रकाशित करता है और उसकी लौ झुकती नहीं है, जो उसके गर्व को प्रकट करती है। उसी तरह मनुष्य भी अपने कार्यों के प्रकाश से इस संसार को रोशन करता है और उसमें भी गर्व विद्यमान हो जाता है। जिस तरह दीप की लौ हिलती-डुलती रहती है, उसी तरह मनुष्य का मन भी डावांडोल होता रहता है। इस तरह कवि ने दीप और मनुष्य को प्रतीक बनाकर मनुष्य के व्यवहार का वर्णन किया है।

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