17.
चोक कुंडली का शक्ति गुणांक है
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Explanation:
हम पढ़ चुके है की प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में व्यय उर्जा का मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है
यहाँ θ विद्युत वोल्टता तथा धारा के मध्य का कलान्तर है।
जब किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में केवल प्रेरकत्व (L) लगा हुआ हो तो इस स्थिति में प्रत्यावर्ती धारा तथा वोल्टता के मध्य कलान्तर का मान 90 डिग्री या π/2 होता है अत:
P = VIcos90 = 0
अत: इस स्थिति में व्यय उर्जा का मान शून्य होगा।
अत: हम कह सकते है की जब प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में केवल प्रेरकत्व लगा हुआ हो तो परिपथ में व्यय उर्जा का मान शून्य होता है लेकिन प्रेरकत्व के कारण प्रत्यावर्ती धारा के मार्ग में बाधा उत्पन्न होती है अर्थात प्रेरकत्व के द्वारा परिपथ में प्रवाहित धारा को बिना किसी व्यय उर्जा के नियंत्रित किया जा सकता है।
चोक कुण्डली इसी सिद्धांत पर कार्य करती है।
चोक कुण्डली की रचना तथा कार्यविधि
यह एक ऐसी युक्ति होती है स्वप्रेरकत्व L बहुत अधिक होता है तथा प्रतिरोध R अत्यधिक अल्प होता है।
इसे बनाने के लिए एक लोह क्रोड पर विद्युतरोधी तांबे के तार के बहुत सारे फेरे लिपेटे जाते है , यहाँ कुण्डली के प्रतिरोध R को कम रखने के लिए तांबे का मोटा तार इस्तेमाल किया जाता है।