17. शब्द अर्थ संगम सहित भरे चमत्कृत भाय। जग अद्भुत में अद्भुतहिँ सुखदा काव्य बनाए पंक्ति
(A) रुद्रट ने
(B) पंडितराज जगन्नाथ को
(C) राजशेखर
(D) ग्वाल कवि रसिकानंद
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Answer:
D ग्वाल कवि रासिकनन्द होंगे
"शब्द अर्थ संगम सहित भरे चमत्कृत भाय। जग अद्भुत में अद्भुतहिँ सुखदा काव्य बनाए" यह पंक्ति राजशेखर जी की रचना है।
इस पंक्ति में शब्दों का अर्थ संगम और उनकी चमत्कारिक व्यवस्था दिखाई देती है, जो एक सुन्दर काव्य की भांति प्रतीत होती है। राजशेखर जी भारतीय संस्कृति के शास्त्रों और काव्य की गहरी जानकारी रखते थे और उन्होंने अपने काव्यों में उनकी समझ और कला को प्रकट किया है। इस पंक्ति में उन्होंने शब्दों के अर्थ संगम के जरिए एक सुंदर छवि तैयार की है, जो पढ़ने वाले को आनंद और सुखदा महसूस कराती है।
राजशेखर जी एक महान भारतीय साहित्यकार थे जो संस्कृत और हिंदी भाषाओं में लिखते थे। उन्होंने अनेक महान काव्य और नाटक लिखे थे जिनमें से कुछ जाने माने हैं। उनके लेखन की विशेषता यह थी कि वे उन शब्दों का चयन करते थे जो संगतियों के साथ शायरी बनाने के लिए सटीक थे। उनकी काव्य रचनाओं में संगम और भाव सम्बंधी अत्यधिक महत्त्व रखते थे।
उपर्युक्त पंक्तियां भी राजशेखर जी के ही एक काव्य से ली गई हैं, जिसका नाम "अद्भुत जगत" है। इस काव्य में उन्होंने विश्व के रहस्यों और सुन्दरता के बारे में लिखा है। इस पंक्ति में उन्होंने शब्दों और अर्थ के संगम को सुंदरता से जोड़कर एक अद्भुत काव्य रचा है।
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