1773 से 1781 के बीच दीवानी विचार
व्यवस्था में कितना परिवर्तन हुआ।
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ᴛʜᴇ ʀᴇɢᴜʟᴀᴛɪɴɢ ᴀᴄᴛ ᴏғ 1773 ᴡᴀs ᴀɴ ᴀᴄᴛ ᴏғ ᴛʜᴇ ᴘᴀʀʟɪᴀᴍᴇɴᴛ ᴏғ ɢʀᴇᴀᴛ ʙʀɪᴛᴀɪɴ ɪɴᴛᴇɴᴅᴇᴅ ᴛᴏ ᴏᴠᴇʀʜᴀᴜʟ ᴛʜᴇ ᴍᴀɴᴀɢᴇᴍᴇɴᴛ ᴏғ ᴛʜᴇ ᴇᴀsᴛ ɪɴᴅɪᴀ ᴄᴏᴍᴘᴀɴʏ's ʀᴜʟᴇ ɪɴ ɪɴᴅɪᴀ.
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किसी भी देश का संविधान उसकी राजनीतिक व्यवस्था की वह बुनियादी सांचा-ढांचा निर्धारित करता है, जिसके अंतर्गत उसकी जनता शासित होती है। यह राज्य की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसे प्रमुख अंगों की स्थापना करता है, उसकी शक्तियों की व्याख्या करता है, उनके दायित्वों का सीमांकन करता है और उनके पारस्परिक तथा जनता के साथ संबंधों का विनियमन करता है। इस प्रकार किसी देश के संविधान को उसकी ऐसी 'आधार' विधि (कानून) कहा जा सकता है, जो उसकी राजव्यवस्था के मूल सिद्धातों को निर्धारित करती है। वस्तुतः प्रत्येक संविधान उसके संस्थापकों एवं निर्माताओं के आदर्शों, सपनों तथा मूल्यों का दर्पण होता है। वह जनता की विशिष्ट सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रकृति, आस्था एवं आकांक्षाओं पर आधारित होता है।
भारत में नये गणराज्य के संविधान का शुभारंभ 26 जनवरी, 1950 को हुआ और भारत अपने लंबे इतिहास में प्रथम बार एक आधुनिक संस्थागत ढांचे के साथ पूर्ण संसदीय लोकतंत्र बना। 26 नवम्बर, 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा निर्मित ‘भारत का संविधान’ के पूर्व ब्रिटिश संसद द्वारा कई ऐसे अधिनियम/चार्टर पारित किये गये थे, जिन्हें भारतीय संविधान का आधार कहा जा सकता है।
भारत में नये गणराज्य के संविधान का शुभारंभ 26 जनवरी, 1950 को हुआ और भारत अपने लंबे इतिहास में प्रथम बार एक आधुनिक संस्थागत ढांचे के साथ पूर्ण संसदीय लोकतंत्र बना। 26 नवम्बर, 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा निर्मित ‘भारत का संविधान’ के पूर्व ब्रिटिश संसद द्वारा कई ऐसे अधिनियम/चार्टर पारित किये गये थे, जिन्हें भारतीय संविधान का आधार कहा जा सकता है।
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