Social Sciences, asked by somyatariti, 9 months ago

1789 ki francisi kranti ka France tatha Europe mein kya prabhav pada​

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फ्रांसीसी क्रांति को पूरे विश्व के इतिहास में मील का पत्थर कहा जाता है। इस क्रान्ति ने अन्य यूरोपीय देशों में भी स्वतन्त्रता की ललक कायम की और अन्य देश भी राजशाही से मुक्ति के लिए संघर्ष करने लगे। इसने यूरोपीय राष्ट्रों सहित एशियाई देशों में राजशाही और निरंकुशता के खिलाफ वातावरण तैयार किया।

स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व के नारे का प्रसार :

फ्रांसीसी क्रांति के प्रेरक शब्द थे-स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व। इन तीन शब्दों ने विश्व की राजनीतिक व्यवस्था के स्वरूप में आमूलचूल परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया। जिस प्रकार धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में सत्यम् शिवम् और सुन्दरम का महत्व है उसी प्रकार राजव्यवस्था में स्वतंत्रता एवं बंधुत्व का भारत सहित अनेक देशों के संविधानों में भावना को देखा जा सकता है।

लोकतांत्रिक सिद्धान्त का विकास : फ्रांसीसी क्रांति का महत्व इस बात में है कि इसमें लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रतिष्ठित किया। क्रांति ने शासन के दैवी सिद्धान्त का अंत कर लोकप्रिय सम्प्रभुता के सिद्धान्त को मान्यता दी। मानवधिकारों की घोषणा ने व्यक्ति की महत्ता को प्रतिपादित किया और यह सिद्ध किया कि सार्वभौम सत्ता जनता में निहित है और शासन का अधिकार जनता से आता है।

सामंतवाद की समाप्ति :

फ्रांसीसी क्रांति ने सामंती व्यवस्था पर चोट कर सामंती विशेषाधिकारों का अंत किया और क्रांति की ये उपलब्धि यूरोप के अन्य देशों को भी प्रभावित करती रही।

राष्ट्रवाद का प्रसार :

फ्रांसीसी क्रांति ने जन-जन में राष्ट्रवाद की भावना को पैदा किया। वस्तुतः अभी तक आम जनता की भक्ति राजा के प्रति थी। फ्रांसीसी क्रांति ने राजभक्ति को देशभक्ति में परिवर्तित कर दिया। इतना ही नहीं, फ्रांस के बाहर भी फ्रांसीसी क्रांति ने राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार किया और नेपोलियन के साम्राज्यवादी विस्तार को रोका।

धर्मनिरपेक्षता की भावना का प्रसार :

फ्रांसीसी क्रांति ने धर्म को राज्य से अलग कर धर्मनिरपेक्ष स्वरूप प्रदान किया। अब धर्म व्यक्तिगत विश्वास की वस्तु बन गई। जिसनें राज्य को किसी तरह हस्तक्षेप नहीं करना था।

सैन्यवाद का विकास :

फ्रांसीसी क्रांति ने सैन्यवाद को प्रेरित किया। वस्तुतः नागरिकों के लिए सैनिक सेवा अनिवार्य कर दी गई। युद्ध के लिए जनता की संपूर्ण लामबंदी के लिए ये पहली अपील थी। कहा गया "अब से जब तक गणतंत्र के प्रदेश से शत्रुओं को निकाल बाहर नहीं कर दिया जाता तब तक फ्रांसीसी जनता स्थायी रूप से सैनिक सेवा के लिए उपलब्ध रहेगी।" अभी तक युद्ध राजा के पेशेवर सैनिकों द्वारा लड़ा जाता था। इसी सैन्यवाद ने आगे चलकर अनेक राष्ट्रों को प्रभावित किया और प्रथम विश्वयुद्ध का एक महत्वपूर्ण कारण बना।

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