18. 1859 में अंग्रजो द्वारा पारीत परिसीगन कानून के प्रभाव की जांच कीजिए।
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1857 की क्रांति में 'डंका शाह' के नाम से मौलवी अहमदुल्लाह शाह (Maulvi Ahmadullah Shah) जाना जाता था। 1857 के विद्रोह के दौरान लखनऊ के हाथ से निकल जाने पर इन्होंने गुरिल्ला युद्ध प्रांरभ किया। फैजाबाद (अयोध्या) में इन्होंने 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किया था। वह मूल रूप से मद्रास के रहने वाले थे। मद्रास में भी उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह की योजना बनायी थी। वे जनवरी, 1857 को फैजाबाद आये। अंग्रेज़ सरकार पहले से उनके आगमन से सतर्क थी। कंपनी ने उनको पकड़ने के लिए सेना भेजी। मौलवी ने डटकर मुकाबला किया। अवध क्रांति में भी उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक प्रमुख नेता बन कर उभरे। जब अंग्रेजों ने लखनऊ पर कब्ज़ा किया तो मौलवी अहमदुल्ला रोहिलखंड का नेतृत्व करने लगे। अन्त में पोवायां के राजा ने विश्वासघात करके उनको मार दिया। इस कार्य के बदले में राजा को अंग्रेजों के द्वारा 50,000 रु. पुरस्कारस्वरूप मिले।....और आगे पढ़ें
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