Social Sciences, asked by ajayrajput62888, 3 months ago

18 57 के विद्रोह के बाद अंग्रेजों ने फ्रीडम प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति रवैया क्यों बदला​

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Answered by jagadishSingh
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विभिन्न एलेक्ट्रॉनिक माध्यमों सहित परम्परागत रूप से प्रकाशित अखबारों को प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रेस की स्वतंत्रता कहा जाता है।

किन्तु इस समस्या का एक दूसरा पहलू भी है। दुनियाभर में मीडिया कार्पोरेट के हाथ में है जिसका एकमात्र उद्देश्य अधिक से अधिक फ़ायदा कमाना है। वास्तव में कोई प्रेस स्वतंत्रता है ही नहीं। बड़े पत्रकार मोटा वेतन लेते हैं और इसी वजह से वे फैंसी जीवनशैली के आदी हो गए हैं। वो इसे खोना नहीं चाहेंगे और इसलिए ही आदेशों का पालन करते हैं और तलवे चाटते हैं।[1]

विभिन्न देशों की सरकारें भी विभिन्न कानून लाकर प्रेस पर काबू पाना चाहते हैं। उदाहरण के तौर पर भारत सरकार नें हाल ही में ऑनलाइन मीडिया वेबसाइट पर निगरानी रखने के लिए नया कानून पेश किया है।[2] इसके तहत सरकार ऑनलाइन कुछ भी छपने पर नियंत्रण करना चाहती है।

कुँवर सुनील शाह युवा पत्रकार,दमोह भारतीय संविधान में उल्लेख किया गया है कि भारतीय मीडिया पत्रकारों को उनके प्रेस स्वतंत्रता का अधिकार देते हुए वह निचले स्तर की आवाज ऊपर शासन प्रशासन तक पहुंचाने के लिए किया गया है और प्रेस को स्वतंत्रता दी गई है कि वह न्याय दिलाने का काम करें इसी माध्यम से मीडिया क्षेत्र को न्याय का चौथा स्तंभ कहा गया है क्योंकि जो दबे कुचले जिस को न्याय नहीं मिलता उन लोगों की है आवाज उठाकर अपनी मीडिया पत्रकार पत्र अखबारों में प्रकाशित करते हुए उनकी आवाज शासन प्रशासन तक पहुंचाई जाती है जिसके माध्यम से न्याय मिलता है

1857 के विद्रोह का प्रमुख राजनीतिक कारण ब्रिटिश सरकार की 'गोद निषेध प्रथा' या 'हड़प नीति' थी। यह अंग्रेजों की विस्तारवादी नीति थी जो ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के दिमाग की उपज थी। ... कुशासन के नाम पर लार्ड डलहौजी ने अवध का विलय करा लिया जिससे बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, अधिकारी एवं सैनिक बेरोजगार हो गए।

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