Hindi, asked by amulkhare17, 8 months ago

-18 कबीर ने गुरु को कुम्हार क्यों माना है ? लिखिए।​

Answers

Answered by aaliyakhan53
113

Answer:

संसारी जीवों को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करते हुए संत शिरोमणि कबीर दास जी कहते हैं- गुरू कुम्हार है शिष्य मिट्टी के कच्चे घड़े के समान है। जिस तरह घड़े को सुन्दर बनाने के लिए अन्दर हाथ डालकर बाहर से थाप मारते हैं ठीक उसी प्रकार शिष्य को कठोर अनुशासन में रखकर अन्तर से प्रेम भावना रखते हुए शिष्य की बुराइयों को दूर करके संसार में सम्माननीय बनाता है।

Answered by bhatiamona
41

18 कबीर ने गुरु को कुम्हार क्यों माना है ?

कबीर ने गुरु को कुम्हार इसलिये माना है, क्योंकि शिष्य तो गीली मिट्टी के समान होता है। जिस तरह कुम्हार गीली मिट्टी को अपने हाथों से घड़े का आकार देता है, यानि अपने हुनर से अनुपयोगी गीली मिट्टी को उपयोगी पात्र बना देता है।

उसी तरह गुरु भी  गीली मिट्टी रूपी शिष्य को अपने ज्ञान रूपी हुनर से घड़ा रूपी उपयोगी पात्र बना देता है। शिष्य को एक साँचे ढाल देता है। इस तरह गुरु कुम्हार के जैसा ही कार्य करता है, इसीलिय कबीर ने गुरु को कुम्हार माना है।▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

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