18 वीं सदी के आखिरी दशक में ब्रिटेन की तेजी से बढ़ती हुई आबादी के किन्हीं तीन प्रभाव को स्पष्ट कीजिए
Answers
Explanation:
भारत की आबादी इस सदी के अंत होते-होते घटकर सिर्फ एक अरब के करीब रह जाएगी, यानी अभी जितनी है उससे 30-35 करोड़ कम हो जाएगी.
हालांकि फिर भी भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश बना रहेगा. और यही नहीं दुनिया की आबादी भी सदी के आखिर में जितना पहले अनुमान लगाया गया था उससे दो अरब कम रहेगी.
ये अनुमान प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट में छपी एक ताज़ा रिपोर्ट में लगाया गया है.
रिपोर्ट कहती है कि अभी दुनिया की आबादी करीब 7.8 अरब है जो कि साल 2100 में करीब 8.8 अरब हो जाएगी. लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में जो रिपोर्ट प्रकाशित की थी, उसमें साल 2100 तक दुनिया की आबादी करीब 10.9 अरब होने का अनुमान लगाया गया था.
Answer:
अठारहवीं सदी के मध्य से लंदन की आबादी तेज़ी से बढ़ने लगी। इसकी आबादी 6,75,000 तक पहुँच चुकी थी।
Explanation:
निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे:
(क) लंदन में औद्योगिक क्रांति के कारण आबादी तेज़ी से बढ़ी। हालाँकि, लंदन में विशाल कारखाने नहीं थे, फिर भी प्रवासी आबादी चुंबक की तरह उसी तरफ़ खिंची चली आती थी। गैरेथ स्टेडमैन जोन्स के शब्दों में, 18 वीं शताब्दी का लंदन क्लर्को और दुकानदारों छोटे पेशेवरों और निपुण कारीगरों, नौकरों, दिहाड़ी मजदूरों, कुशल व शारीरिक श्रम करने वालों की बढ़ती आबादी, सिपाहियों,फेरीवालों और भिखारियों का शहर था।"
(ख) रोजगार प्राप्त करने लोग लंदन की तरफ़ आ रहे थे। लंदन की गोदी के अलावा मुख्य रूप से पाँच तरह के बड़े उद्योगों में बहुत सारे लोगों को काम मिला हुआ था । ये उद्योग थे-परिधान और जूता उद्योग, लकड़ी व फर्नीचर उद्योग, धातु एवं इंजीनियरिंग उद्योग, छपाई और स्टेशनरी उद्योग तथा शल्य चिकित्सा उपकरण के घड़ी जैसे सटीक माप वाले उत्पादों और कीमती धातुओं की चीजें बना वाले उद्योग।
(ग) पहले विश्व युद्ध के दौरान लंदन में मोटरकार और बिजली के उपकरणों का भी उत्पादन होने लगा और विशाल कारखानों की संख्या बढ़ते-बढ़ते इतनी हो गई कि शहर की तीन-चौथाई नौकरियाँ इन्हीं कारखानों में सिमट गईं।
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