1848 में फ्रांसीसी कलाकार freडिक सरयू ने अपने 4 चित्रों की श्रंखला को क्या नाम दिया ?
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Explanation:
. फ्रांस तथा यूरोप के इतिहास में 1848 की क्रांति का अत्यधिक महत्व है। इसने जनता के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में परिवर्तन लाने का प्रयास किया। 1848 की क्रांति में सामाजिक एवं आर्थिक समानता पर विशेष जोर दिया और मजदूरों तथा कारीगरों को अधिकाधिक सुविधाएं देने का प्रयत्न किया।
2. क्रांति के फलस्वरूप यूरोप के राजनीतिक विचारों में परिवर्तन की एक लहर पैदा हुई। उदार एवं राष्ट्रीय विचारों के विकास के साथ अब गुप्त समितियों का स्थान संगठित आंदोलनों ने ले लिया।
3. क्रांति के फलस्वरूप यूरोप भर में निरंकुश शासन की नींव हिल गई। राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक स्वतंत्रता के विचार पनपने लगे फलस्वरूप यूरोप के देशों में वैधानिक शासन का विकास हुआ। सार्डिनिया, स्विट्जरलैण्ड, फ्रांस, हॉलैण्ड में वैधानिक शासन की स्थापना के लिए जन आंदोलन हुआ और उन्हें सफलता भी मिली। इंग्लैण्ड में संसदीय निर्वाचन क्षेत्र अधिक व्यापक हुये।
4. सामूहिक चेतना का युग आरंभ हुआ। क्रांति ने जनसमूह के महत्व को सामने रखा। जो चेतना पहले कुछ व्यक्तियों एवं नेताओं तक सीमित थी अब वह जनसमूह की चेतना बन गई। राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक अन्यायों के विरूद्ध खड़े होने के लिए जनता अब किसी नेता की प्रतीक्षा नहीं करती थी।
5. क्रांति का एक महत्वपूर्ण परिणाम यह निकला कि "जनमत का अधिकार" अब केवल मध्यम वर्ग तक सीमित न रह कर पूरी जनता को मिल गया। आर्थिक लोकतंत्र के विषय में यह एक विशेष घटना थी।
6. क्रांति ने वह मार्ग प्रशस्त कर दिया जिस पर चलकर प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का और सार्डिनिया के नेतृत्व में इटली का एकीकरण पूरा हुआ।
7. मेटरनिख व्यवस्था का अंत हुआ जो उदारवाद को एक 'संक्रामक रोग' समझता था।
8. सैनिक शक्ति का महत्व बढ़ा। क्रांतिकारियों ने सीख ली कि अब कोई भी क्रांति बिना सेना के सक्रिय सहयोग से सफल नहीं हो सकती। भविष्य में सरकारें अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संगठित सैनिक शक्ति पर अत्यधिक निर्भर रहने लगी। बिस्मार्क द्वारा जर्मनी का और गैरीबॉल्डी द्वारा इटली का एकीकरण सेना की शक्ति पर आधारित था।
9. यथार्थवाद का उदय हुआ। 1848 की क्रांति की सफलता ने क्रांतिकारियों की रोमांटिक आशाओं को नष्ट कर दिया। अब यूरोपीय साहित्यकार यथार्थवाद की ओर झुके। लोग अपने लक्ष्यों को आदर्शवादी रूप में देखने के बजाय उसको प्राप्त करने के लिए ठोस तरीकों का यथार्थवादी मूल्यांकन करने लगे।
फ्रेडरिक सोरियू एक फ्रांसीसी कलाकार थे। वर्ष 1848 में, उन्होंने चार प्रिंटों की एक श्रृंखला तैयार की। इन चार प्रिंटों में, उन्होंने लोकतांत्रिक और सामाजिक गणराज्यों से बनी दुनिया के अपने सपने की कल्पना की।
फ्रेडरिक सोरियू दुनिया की दृष्टि:-
- पहले प्रिंट में यूरोप और अमेरिका के लोगों को एक लंबी ट्रेन में मार्च करते हुए दिखाया गया है। मार्च करने पर जब वे स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के पास से गुजरते हैं तो वे मूर्ति को श्रद्धांजलि देते हैं। प्रबुद्धता की मशाल एक हाथ में एक महिला आकृति और दूसरे में आदमी के अधिकारों के चार्टर द्वारा ले जाया गया था।
- अग्रभूमि में पृथ्वी पर निरंकुश संस्थानों के प्रतीकों के बिखरे हुए अवशेष हैं।
- सोरियू की यूटोपियन दृष्टि में, दुनिया के लोगों को अलग-अलग राष्ट्रों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। श्रेणियों के समूहों को उनके झंडे और राष्ट्रीय पोशाक के माध्यम से पहचाना जाता है।
- जुलूस का आयोजन किया गया। संयुक्त राज्य अमेरिका और स्विट्जरलैंड ने जुलूस का नेतृत्व किया, इसके बाद फ्रांस और जर्मनी थे। जर्मन लोगों के बाद ऑस्ट्रिया, दो सिसिलियों का साम्राज्य, लोम्बार्डी, पोलैंड, इंग्लैंड, आयरलैंड, हंगरी और रूस के लोग आते हैं।
- उनका मानना था कि ऊपर आकाश से, मसीह, संत और स्वर्गदूत दृश्य पर टकटकी लगाते हैं।इन प्रतीकों का उपयोग कलाकार द्वारा दुनिया के राष्ट्रों के बीच भाईचारे के प्रतीक के रूप में किया गया है।