1857 की क्रान्ति का वर्णन करो
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Indian Rebellion of 1857 -
. The Indian Rebellion of 1857 is also called the Indian Mutiny, the Sepoy Mutiny, North India's First War of Independence or North India's first struggle for independence. It began on 10 May 1857 at Meerut, as a mutiny of sepoys of the British East India Company's army.
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भारत में आजादी भले ही 1947 में मिली परंतु इसके लिए संघर्ष लगभग सौ वर्ष पूर्व ही आरंभ हो चुका था. वास्तव में इस 1857 की क्रान्ति का स्वर्णिम इतिहास ही कालान्तर में कई स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणादायी बना. ये क्रान्ति तब हुई थी जब नेटवर्क की ज्यादा विकसित सुविधाए नहीं थी, केंद्र में अंग्रेजों की सत्ता को हिलाने के लिए कोई नेतृत्व भी नहीं था और नाही कोई संगठित समूह या निर्धारित योजना थी,जिससे क्रान्ति को सफल बनाया जा सके. लेकिन सैन्य वर्ग से लेकर आम-जनों में अंग्रेजों के खिलाफ फैले आक्रोश को अपना लक्ष्य दिखने लगा था. उस समय ही शासक वर्ग से लेकर सैनिकों,मजदूरों, किसानों यहाँ तक कि कुछ जन-जातियों को भी स्वतंत्रता और स्वायत्ता का महत्व समझ आया. ये क्रान्ति असफल जरुर रही लेकिन इसने देश के लिए एक सुनहरे भविष्य की नीव रख दी थी.
ऐसे ही एक क्रांतिकारी थे भगवान बिरसा मुंडा
29 मार्च 1857 को बैरकपुर में मंगल पांडे के नेतृत्व में ये क्रान्ति शुरू हुयी थी. इतिहास में क्रांति की शुरुआत 10 मई 1857 से मानी जाती हैं जब मेरठ के सिपाहियों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ बगावत कर दी थी. इस तरह बैरकपुर और मेरठ से शुरू हुयी ये क्रान्ति जल्द ही दिल्ली, कानपूर, अलीगढ, लखनऊ, झांसी, अल्लाहबाद, अवध और देश कई अन्य हिस्सों तक पहुँच गयी थी.
लार्ड केनिंग(1857 की क्रांति की जीत का प्रमुख व्यक्ति)
लार्ड केनिंग को 1856 में भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया था उनका कार्यकाल 1862 तक रहा था. इस दौरान गवर्मेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट,1858 भी पास हुआ जिसके अनुसार भारत के गवर्नर जनरल को ही वायसराय घोषित किया गया,इस तरह लार्ड केनिंग भारत के पहले वायसराय बने. उनके वायसराय बनते ही 1857 की क्रांति हो गयी जिसे विफल करने में वो कामयाब रहे. यह ब्रटिश सरकार की भारत की जनता के ऊपर एक बड़ी जीत साबित हुई और इसका सारा शेर्य लार्ड केनिन को दिया गया
(causes of the 1857 Revolution)
1857 की क्रांति एक दिन में हुईं सामान्य सी विद्रोह की क्रान्ति नहीं थी,इस क्रान्ति को पनपने और देश भर में फैलने में काफी समय लगा था. उस समय अंग्रेजों के कारण भारतीय समाज में काफी असंतुलन पैदा हो गया था. ब्रिटिश ऑफिसर और भारतीयों में भेदभाव बढ़ गया था. ब्रिटिश अफसर भारतीय अफसरों के साथ घुलते-मिलते नहीं थे.भारत की आम जनता और अफसरों को उन रेस्टोरेंट,पार्क और क्लब में जाने की अनुमति नहीं थी जहाँ ब्रिटिश जाते थे. भारतीयों को रंग के भेदभाव और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता था. इसके अलावा अंग्रेजों को लगा कि भारतीयों के लिए उनका धर्म सबसे बड़ा हैं इसलिए उन्होंने भारतीयों की धार्मिक भावना को चोट पंहुचाना शुरू कर दिया,जिसे समाज में रोष फैलने लगा. इसके पीछे कई कारण थे,जिनमें राजनीतिक,सैन्य,धार्मिक और सामजिक कारण मुख्य थे.
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