1857 की क्रान्ति का वर्णन करो
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1857 ई. का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (म्यूटिनी) ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक महान घटना थी। यह संग्राम आकस्मिक नहीं बल्कि पूरी शताब्दी के भारतीय असंतोष का परिणाम था। इसके लिये एक महान योजना बनी और क्रियान्वित की गयी थी।
ब्रायन हाफ्टन हाँजसन, रेज़िडेंट नेपाल, ने हिमालय में कॉलोनाइज़ेशन की योजना प्रस्तुत की थी कि आयरलैण्ड और स्कॉटलैण्ड के किसानों को भारत में बसने के लिए मुफ्त जमीन देकर प्रोत्साहित किया जाय। ब्रिटिश सत्ता ने भी अपने देशवासियों को, विशेषकर पूँजीपतियों को, इस संबंध में प्रोत्साहित किया। उनकी स्थिति को मज़बूत करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने भारतीय मजदूरों के लिए ऐसा कानून पास किया जिससे हज़ारों की संख्या में वे कानूनी तौर पर गुलाम हो गए।
गदर के बाद ब्रिटिश नीतिज्ञों की बड़ी तकरार हुई। मार्च, 1858 ई. के ‘कलकत्ता रिव्यू’ में इसका उल्लेख मिलता है। तदनुसार ‘‘चारों तरफ से हमें इस तरह की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं जिससे परामर्श मिलते हैं कि भारतीयों को अवश्य ईसाई बना लेना चाहिए, हिन्दुस्तानी ज़बान को खत्म कर देना चाहिए और उसकी जगह अपनी मातृभाषा अंग्रेजी प्रचलित कर देनी चाहिए।’’
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1806 से ही भोपाल के सिपाही अंग्रेजों से नाराज थे,क्योंकि उन्हें तिलक लगाने, सर पर टोपी पहनने से निषेध कर दिया गया था. सबसे पहले 1806 में सैन्य विद्रोह वेल्लोर में हुआ था जो कि 1824 तक बंगाल पहुच गया था और 1844 में सिंध और रावलपिंडी तक पहुच गया था.
भारतीय सैनिकों को अंग्रेज सैनिकों से कम मेहनताना मिलता था. सैनिकों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता खराब होती थी. ब्रिटिश अधिकारियों का भारतीय सैनिकों के प्रति व्यवहार ख़राब था. भारतीय सैनिकों को अपने घर-परिवार से दूर युद्ध पर भेजा जाता था.
भारतीय सैनिकों का वेतन 9 रूपये प्रति माह था और इसी के साथ हिन्दू सैनिक कालापानी तक जाने के लिए समुन्द्र को पार करने के कारण भी गुस्से में थे
इस दौरान ही एनफील्ड राइफल भी आर्मी में लायी गई जो कि 1857 की क्रांति का सबसे बड़ा कारण बनी. इस राइफल की बुलेट पर ग्रीज का पेपर लगा होता था. सैनिक को अपने दांतों से इसे हटाना होता था,हिन्दू और मुस्लिम ने इसका विरोध किया,क्योंकि हिन्दुओं को लगता था कि इसमें गाय की चर्बी का इस्तेमाल हुआ हैं जबकि मुस्लिमों को लगा कि इसमें सूअर की चर्बी का उपयोग किया गया है. इससे दोनों पक्षों की धार्मिक भावनाए आहत हो गयी , मंगल पांडे के नेतृत्व में सैनिकों ने विद्रोह छेड दिया. ये विद्रोह सैनिकों ने किया था इसलिए इसे अंग्रेजों ने सैन्य विद्रोह की संज्ञा दी. जब ये विद्रोह दिल्ली पंहुचा तो क्रांतिकारियों ने बहादुर शाह जफ़र को इस क्रांति का लीडर घोषित कर दिया