Hindi, asked by 19aalekhraghu, 1 year ago

1857 ki kranti me nanasaheb ka kya yogdan tha

Answers

Answered by sumit9074
3
Nana saheb led KANPUR

19aalekhraghu: I want this answer in 50 words
Answered by anamika91
6


1 जुलाई 1857 को जब कानपुर से अंग्रेजों ने प्रस्थान किया तो नाना साहब ने पूर्ण् स्वतंत्रता की घोषणा की तथा पेशवा की उपाधि भी धारण की। नाना साहब का अदम्य साहस कभी भी कम नहीं हुआ और उन्होंने क्रांतिकारी सेनाओं व पंडित तेजसिंह तिवारी का बराबर नेतृत्व किया नाना साहब द्वारा क्रांतिकारी पंडित तेज सिंह तिवारी ग्राम हिरनगाँव से बड़े जोश में आकर कहां कि पंडित जी आप इन फिरंगियों की अधीनता स्वीकार मत करना। फतेहपुर तथा आंग आद के स्थानों में नाना के दल से और अंग्रेजों में भीषण युद्ध हुए। कभी क्रांतिकारी जीते तो कभी अंग्रेज। तथापि अंग्रेज बढ़ते आ रहे थे। इसके अनंतर नाना साहब ने अंग्रेजों सेनाओं को बढ़ते देख नाना साहब ने गंगा नदी पार की और लखनऊ को प्रस्थान किया। नाना साहब एक बार फिर कानपूर लौटे और वहाँ आकर उन्होंने अंग्रेजी सेना ने कानपुर व लखनऊ के बीच के मार्ग को अपने अधिकार में कर लिया तो नाना साहब अवध छोड़कर रुहेलखंड की ओर चले गए। रुहेलखंड पहुँचकर उन्होंने खान बहादुर खान् को अपना सहयोग दिया। अब तक अंग्रेजों ने यह समझ लिया था कि जब तक नाना साहब पकड़े नहीं जाते, विप्लव नहीं दबाया जा सकता। जब बरेली में भी क्रांतिकारियों की हार हुई तब नाना साहब ने महाराणा प्रताप की भाँति अनेक कष्ट सहे परंतु उन्होंने फिरंगियों और उनके मित्रों के संमुख आत्मसमर्पण नहीं। अंग्रेज सरकार ने नाना साहब को पकड़वाने के निमित्त बड़े बड़े इनाम घोषित किए किंतु वे निष्फल रहे। सचमुच नाना साहब का त्याग एवं स्वातंत्र्य, उनकी वीरता और सैनिक योग्यता उन्हें भारतीय इतिहास के एक प्रमुख व्यक्ति के आसन पर बिठा देती है।

19aalekhraghu: In 50 Words please
anamika91: ok
anamika91: thanks
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