1885 Ka adhiniyam v iska mahatva
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1885 के अधिनियम को भारतीय तार अधिनियम कहा जाता है यह अधिनियम 1 अक्तूबर 1885 से लागू किया गया था
(1) "तार/टेलीग्राफ़" का मतलब कोई उपकरण जिसका उपयोग चिन्हों, संकेतों, लेखन, चित्रों और ध्वनिओं अथवा किसी भी प्रकार के तार, दृश्य अथवा अन्य विद्युत-चुम्बकीय उत्सर्जनों, रेडियो तरंगें अथवा हर्ट्ज़ियन तरंगें, गैल्वेनिक, विद्युत् अथवा चुम्बकीय साधनों से भेजने और प्राप्त करने के लिए होता है
(2) "तार अधिकारी" का मतलब कोई व्यक्ति जिसे स्थायी या अस्थायी रूप से एक टेलीग्राफ के संबध में केंद्र सरकार या इस अधिनियम के तहत लाइसेंस प्राप्त व्यक्ति द्वारा रखा गया है
(3) "संदेश" का अर्थ है टेलीग्राफ द्वारा भेजा गया कोई भी संचार, या टेलीग्राफ अधिकारी को टेलीग्राफ द्वारा भेजे जाने के लिए या वितरित किये जाने के लिए दिया जाता है।
(4) "टेलीग्राफ लाइन" का अर्थ तार या तारों जिसे बिना किसी आवरण, परत, टेलीग्राफ के लिए उपयोग किया जाता है, किसी भी आवरण, परत, ट्यूब या पाइप को समान रूप से घेरने के साथ, और उसी को ठीक करने या इंसुलेट करने के उद्देश्य से कोई भी उपकरण और उपकरण जुड़ा हुआ है।
(5) "पोस्ट" का मतलब तार लाइन को भेजने वाला, निलंबित करने वाला या समर्थन करने वाला खम्बा, स्तम्भ, नीचे या जमीन के ऊपर कोई अन्य उपकरण से है।
(6) "टेलीग्राफ प्राधिकारी" का मतलब पोस्ट और टेलीग्राफ के महानिदेशक से है और इस अधिनियम के तहत टेलीग्राफ प्राधिकारी के सभी या किसी भी कार्य को करने के लिए उसके द्वारा सशक्त कोई भी अधिकारी शामिल है।
(7) "स्थानीय प्राधिकारी" का मतलब कोई नगरपालिका समिति, जिला बोर्ड, पोर्ट कमिश्नर का निकाय या अन्य प्राधिकारी से है जो किसी भी नगरपालिका या स्थानीय निधि के नियंत्रण या प्रबंधन के के लिए कानूनी रूप से हकदार है अथवा केंद्र या किसी राज्य सरकार द्वारा सौंपा जाता है।