History, asked by 9770750112babu, 3 months ago

1892 अधिनियम के दो दोष​

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Answered by rjha4010
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Answer:

इसके अतिरिक्त सदस्यों की संख्या इतनी कम थी कि वे करोड़ों भारतीयों का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते थे। विधान परिषदों का विस्तार और इनके अधिकार अत्यंत सीमित थे। विधान परिषद् के सदस्यों को पूरक प्रश्न पूछने या सरकारी उत्तर पर बहस करने का अधिकार नहीं था। उन्हें बजट के प्रस्तावों पर वोट देने का भी अधिकार नहीं था।

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