19 निम्नलिखित में से किसी एक गद्यांश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए
झूरह काछी के दोनों बैलों के नाम थे - हीरा और मोती। दोनों पछाई के थे देखने में सुंदर , काम
में चौकस, डील में ऊँच बहुत दिनों साथ रहते-रहते दोनों में भाई-चारा हो गया था। दोनों आमने-
सामने बैठे हुए एक दूसरे से मृल भाषा में विचार-विनिमय करते थे। एक-दसरे की बात केसे समझ
जाने थे हम नहीं कह सकते। अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुण शक्ति थी, जिससे जीवा में श्रेष्ठता
का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है। दोनों एक-दूसरे को चाटकर-उधकर अपना प्रेम प्रकट करने
कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लेते. विग्रह के नाते से नहीं केवल विनोद के भाव स. आलीयता के
भाव से, जैसे दोस्तो में घनिष्ठता होने ही धौल-धप्पा होने लगना है। इसके बिना दोस्ती कुछ
फुसफुसी, कुछ हल्की-सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता।
अथवा
परित्यक्त चीनी किले से जब इस चलने लगे तो
Answers
19 दिए गए गद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या नीचे दी गई है।
संदर्भ - प्रस्तुत गद्यांश मुंशी प्रेमचंद की कहानी " दो बैलों की कथा " से लिया गया है। इन पंक्तियों में मुंशीजी ने दो बैलों के परस्पर प्रेम तथा स्नेह का वर्णन किया है।
व्याख्या - झुरी के पास दो बैल थे , नाम था हीरा तथा मोती। दोनों बैल देखने में सुंदर तथा सुडौल थे।
•साथ रहते रहते दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो गया। वे दोनों साथ में चारा खाते , खेत में हल साथ में जोतते। दोनों एक दूसरे से मूक भाषा में बातें करते थे।
• हम इंसान जानवरों की बोली नहीं समझते परन्तु भगवान ने जानवरों को एक गुण दिया है एक दूसरे की बोली समझने का।
•हीरा मोती एक दूसरे को चाटकर अपना प्रेम व्यक्त करते , कभी कभी सींग भी मिला लेते थे।कभी कानाफूसी करते। इस प्रकार उनमें इतनी घनिष्ठ मित्रता हो गई कि एक मिनट भी एक दूसरे से अलग नहीं होते थे ।