Social Sciences, asked by shivsharma13886, 5 months ago

19. पांचवीं रिपोर्ट के इस उद्धरण का अध्ययन करें और निम्नलिखित में से तीन का उत्तर दें
जमींदारों की हालत और ज़मीनों की नीलामी के बारे में पांचवीं रिपोर्ट में
कहा गया है:
राजस्व समय पर नहीं वसूल किया जाता था और काफ़ी हद तक जमीनें
समय-समय पर नीलामी पर बेचने के लिए रखी जाती थीं। स्थानीय वर्ष
1203, तदनुसार सन् 1796-97 में विक्री के लिए विज्ञापित जमीन की
निर्धारित राशि (जुम्मा) 28,70,061 सिक्का रु. थी और वह वास्तव में
1790416 रु. में बेची गई और 14,18,756 रु. की राशि जुम्मा के रूप
में प्राप्त हुई। स्थानीय संवत 1204, तदनुसार सन् 1797-98 में 26,66,191
सिक्का रु. के लिए जमीन विज्ञापित की गई, 22,74076 सिक्का रू. की
जमीन बेची गई और क्रय राशि 2147580 सिक्का रु. थी। बाकीदारों में
कुछ लोग देश के बहुत पुराने परिवारों में से थे। ये थे: नदिया. राजशाही,
विशनपुर (सभी बंगाल के जिले) आदि के राजा..। साल दर साल उनकी
जागीरों के टूटने जाने से उनकी हालत बिगड़ गई। उन्हें गरीबी और बरबादी
का सामना करना पड़ा और कुछ मामलों में तो सार्वजनिक निर्धारण की राशि
को यथावत बनाए रखने के लिए राजस्व अधिकारियों को भी काफ़ी
कठिनाइयाँ उठानी पड़ी।​

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Explanation:

19. पांचवीं रिपोर्ट के इस उद्धरण का अध्ययन करें और निम्नलिखित में से तीन का उत्तर दें

जमींदारों की हालत और ज़मीनों की नीलामी के बारे में पांचवीं रिपोर्ट में

कहा गया है:

राजस्व समय पर नहीं वसूल किया जाता था और काफ़ी हद तक जमीनें

समय-समय पर नीलामी पर बेचने के लिए रखी जाती थीं। स्थानीय वर्ष

1203, तदनुसार सन् 1796-97 में विक्री के लिए विज्ञापित जमीन की

निर्धारित राशि (जुम्मा) 28,70,061 सिक्का रु. थी और वह वास्तव में

1790416 रु. में बेची गई और 14,18,756 रु. की राशि जुम्मा के रूप

में प्राप्त हुई। स्थानीय संवत 1204, तदनुसार सन् 1797-98 में 26,66,191

सिक्का रु. के लिए जमीन विज्ञापित की गई, 22,74076 सिक्का रू. की

जमीन बेची गई और क्रय राशि 2147580 सिक्का रु. थी। बाकीदारों में

कुछ लोग देश के बहुत पुराने परिवारों में से थे। ये थे: नदिया. राजशाही,

विशनपुर (सभी बंगाल के जिले) आदि के राजा..। साल दर साल उनकी

जागीरों के टूटने जाने से उनकी हालत बिगड़ गई। उन्हें गरीबी और बरबादी

का सामना करना पड़ा और कुछ मामलों में तो सार्वजनिक निर्धारण की राशि

को यथावत बनाए रखने के लिए राजस्व अधिकारियों को भी काफ़ी

कठिनाइयाँ उठानी पड़ी।

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