19, सयतवती सदन ,गोभतीऩुय ,अहभदाफाद से अऩने लभत्र /सखी को कोयोना से फचने के
उऩाम औय ध्मान यखने की फातों को सभजाते हुए ऩत्र लरखें |
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भावार्थ : भावार्थ : हे राजन्! इसके बाद कपिध्वज अर्जुन ने मोर्चा बाँधकर डटे हुए धृतराष्ट्र-संबंधियों को देखकर, उस शस्त्र चलने की तैयारी के समय धनुष उठाकर हृषीकेश श्रीकृष्ण महाराज से यह वचन कहा- हे अच्युत! मेरे रथ को दोनों सेनाओं के बीच में खड़ा कीजिए।
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