19 wi satabdi me Bharat me huye samajik daharmik andolan ko samjhaiye
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भारतीय समाज और धर्म में अनेक अंधविश्वास उत्पन्न हो गये थे। 19 वी. शता. के आरंभ में ईसाई पादरियों को भारत में धर्म-प्रचार करने की छूट दे दी गई। ईसाई मिशनरियों के स्थान-2 पर हिन्दू धर्म की कटु आलोचना आरंभ कर दी। बहुदेववाद, अवतारवाद और मूर्तिपूजा की भी कटु आलोचना की और समाज में प्रचलित कुरीतियों के लिए भी धर्म को ही दोषी ठहराया। अतः भारतीय समाज और धर्म में उत्पन्न दोषों का निवारण अनिवार्य था। ईसाई मिशनरियों के प्रचार ने भारतीयों को चुनौती दी। भारत में 19 वी. शता. में कई सामाजिक-धार्मिक आंदोलन इसलिए आरंभ हुए कि ईसाई धर्म से हिन्दू धर्म को पुनः स्थापित करने के प्रयत्न आरंभ हुए जिससे भारतीयों में एक नया दृष्टिकोण उत्पन्न हुआ, जिसमें अन्ध-विश्वास का स्थान आध्यात्मिक चिंतन ने ले लिया।भारत में 19 वी. शता. में कई सामाजिक-धार्मिक आंदोलन इसलिए आरंभ हुए कि ईसाई धर्म से हिन्दू धर्म को पुनः स्थापित करने के प्रयत्न आरंभ हुए जिससे भारतीयों में एक नया दृष्टिकोण उत्पन्न हुआ, जिसमें अन्ध-विश्वास का स्थान आध्यात्मिक चिंतन ने ले लिया।
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