1905 ki kranti ka kis ghatna se aarambh hua
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तिथि 22 जनवरी 1905 - 16 जून 1907
स्थान रूस
परिणाम इम्पीरियल सरकार की जीत क्रांतिकारियों को हराया निकोलस द्वितीय सिंहासन को बरकरार रखे हुए अक्टूबर घोषणापत्र [1906 [रूसी संविधान|
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क्रांति के कारण संपादित करें
रूस की 1905 की क्रांति के कारण उसकी राजनीतिक, सामाजिक परिस्थितियों में निहित थे। जापानी युद्ध ने केवल उत्प्रेरक का कार्य किया। युद्ध में पराजय के कारण रूस की जनता का असंतोष इतना बढ़ गया था कि उसने राज्य के विरूद्ध विद्रोह कर दिया। इस क्रांति के कारण ही सरकार को जापान से युद्ध बंद कर शांति संधि करनी पड़ी। इस क्रांति के कारण निम्नलिखित थे -
(1) अलेक्जेण्डर तृतीय और निकोलस द्वितीय के शासन-काल में सुधार की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। इसके विपरीत, प्रशासन में प्रतिक्रियावादी तत्वों का पूर्ण प्रभाव बना रहा। सुधार आंदोलनों को अत्यंत कठोरता से कुचल दिया जाता था। जार की शक्ति पूर्ण रूप से निरंकुश और स्वेच्छाचारी थी।
(2) जार के मंत्री पोवीडोनोस्नेव, टाल्सटाय, प्लेहवे घोर प्रतिक्रियावदी थे। सुधार की माँग को दबाने के लिए उन्होंने जघन्य अत्याचार किये। इससे आतंकवाद बढ़ता गया। पुलिस के अधिकार असीमित थे और निरपराध व्यक्तियों को संदेह मात्र में मृत्यु दण्ड दिया जाता था या साइबेरिया से निर्वासित कर दिया जाता था।
(3) क्रांति का कारण कृषकों की भूमि समस्या थी। अभिजात वर्ग के अधिकार में विशाल कृषि भूमि थी। किसान चाहते थे कि इस भूमि को उनमें बाँट दिया जाये। क्रांतिकारियों के प्रचार से उनमें भी जागृति आ रही थी। क्रांति के द्वारा वे भूमि प्राप्त करना चाहते थे।
(4) श्रमिकों का असंतोष भी क्रांति का कारण था। रूस में औद्योगीकरण के कारण बड़ी संख्या में मजदूर नगरों में एकत्रित हो गये थे। उनका जीवन असुरक्षित और दयनीय था। औद्योगिक समस्याओं की ओर से सरकार उदासीन था। श्रमिकों में समाजवादी विचार तेजी से फैल रहे थे। उन्हें संगठन बनाने या हड़ताल करने का अधिकार नहीं था। सरकार के दमन से उनमें असंतोष बढ़ता जा रहा था।
(5) 1896 के बाद सुधार आंदोलन तेज हो गया था। अभिजात वर्ग और उच्च वर्ग के लोग भी सुधारों की माँग कर रहे थे। समाजवादी समाज में आमूल परिवर्तन की माँग कर रहे थे। 1893 से मार्क्सवादी विचारधारा का प्रचार हो रहा था।
(6) रूसीकरण की नीति के कारण दलित जातियाँ जैसे फिन, पोल आदि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही थी। इनके असंतोष से क्रांति को बल प्राप्त हुआ।
(7) आतंकवादी पुलिस और भष्ट अधिकारियों की हत्या कर रहे थे। शासन के जुल्म और अत्याचार का यही एकमात्र जबाव रह गया था। कृषकों और श्रमिकों को क्रांति के लिए संगठित किया जा रहा था क्योंकि शांतिपूर्ण उपायों द्वारा सुधार असंभव हो गया था।
(8) रूस-जापान युद्ध में रूस की पराजय से सरकार की अयोग्यता और भ्रष्टाचार स्पष्ट हो गया। सभी वर्गां में सरकार की आलोचना हो रही थी। निरंकुश और अयोग्य सरकार के परिवर्तन की माँग बढ़ गयी। जनता के कष्ट बढ़ते जा रहे थे। उन्हें केवल पुलिस का अत्याचार मिलता था।
रूस की 1905 की क्रांति के कारण उसकी राजनीतिक, सामाजिक परिस्थितियों में निहित थे। जापानी युद्ध ने केवल उत्प्रेरक का कार्य किया। युद्ध में पराजय के कारण रूस की जनता का असंतोष इतना बढ़ गया था कि उसने राज्य के विरूद्ध विद्रोह कर दिया। इस क्रांति के कारण ही सरकार को जापान से युद्ध बंद कर शांति संधि करनी पड़ी। इस क्रांति के कारण निम्नलिखित थे -
(1) अलेक्जेण्डर तृतीय और निकोलस द्वितीय के शासन-काल में सुधार की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। इसके विपरीत, प्रशासन में प्रतिक्रियावादी तत्वों का पूर्ण प्रभाव बना रहा। सुधार आंदोलनों को अत्यंत कठोरता से कुचल दिया जाता था। जार की शक्ति पूर्ण रूप से निरंकुश और स्वेच्छाचारी थी।
(2) जार के मंत्री पोवीडोनोस्नेव, टाल्सटाय, प्लेहवे घोर प्रतिक्रियावदी थे। सुधार की माँग को दबाने के लिए उन्होंने जघन्य अत्याचार किये। इससे आतंकवाद बढ़ता गया। पुलिस के अधिकार असीमित थे और निरपराध व्यक्तियों को संदेह मात्र में मृत्यु दण्ड दिया जाता था या साइबेरिया से निर्वासित कर दिया जाता था।
(3) क्रांति का कारण कृषकों की भूमि समस्या थी। अभिजात वर्ग के अधिकार में विशाल कृषि भूमि थी। किसान चाहते थे कि इस भूमि को उनमें बाँट दिया जाये। क्रांतिकारियों के प्रचार से उनमें भी जागृति आ रही थी। क्रांति के द्वारा वे भूमि प्राप्त करना चाहते थे।
(4) श्रमिकों का असंतोष भी क्रांति का कारण था। रूस में औद्योगीकरण के कारण बड़ी संख्या में मजदूर नगरों में एकत्रित हो गये थे। उनका जीवन असुरक्षित और दयनीय था। औद्योगिक समस्याओं की ओर से सरकार उदासीन था। श्रमिकों में समाजवादी विचार तेजी से फैल रहे थे। उन्हें संगठन बनाने या हड़ताल करने का अधिकार नहीं था। सरकार के दमन से उनमें असंतोष बढ़ता जा रहा था।
(5) 1896 के बाद सुधार आंदोलन तेज हो गया था। अभिजात वर्ग और उच्च वर्ग के लोग भी सुधारों की माँग कर रहे थे। समाजवादी समाज में आमूल परिवर्तन की माँग कर रहे थे। 1893 से मार्क्सवादी विचारधारा का प्रचार हो रहा था।
(6) रूसीकरण की नीति के कारण दलित जातियाँ जैसे फिन, पोल आदि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही थी। इनके असंतोष से क्रांति को बल प्राप्त हुआ।
(7) आतंकवादी पुलिस और भष्ट अधिकारियों की हत्या कर रहे थे। शासन के जुल्म और अत्याचार का यही एकमात्र जबाव रह गया था। कृषकों और श्रमिकों को क्रांति के लिए संगठित किया जा रहा था क्योंकि शांतिपूर्ण उपायों द्वारा सुधार असंभव हो गया था।
(8) रूस-जापान युद्ध में रूस की पराजय से सरकार की अयोग्यता और भ्रष्टाचार स्पष्ट हो गया। सभी वर्गां में सरकार की आलोचना हो रही थी। निरंकुश और अयोग्य सरकार के परिवर्तन की माँग बढ़ गयी। जनता के कष्ट बढ़ते जा रहे थे। उन्हें केवल पुलिस का अत्याचार मिलता था।
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