1917 में ज़ार का शासन क्यों खत्म हो गया?
Answers
उत्तर :
1917 में जा़र का शासन इसलिए खत्म हो गया क्योंकि :
- रूस का जा़र निकोलस द्वितीय राजा के दैवीय अधिकारों में विश्वास रखता था। वह निरंकुश तंत्र की रक्षा करना अपना परम कर्तव्य समझता था । उसके समर्थक केवल कुलीन वर्ग तथा अन्य उच्च वर्गों से संबंध रखते थे। जनसंख्या का शेष सारा भाग उसके विरोधी था । राज्य के सभी अधिकार उच्च वर्ग के लोगों के हाथ में थे। उनकी नियुक्ति भी किसी योग्यता के आधार पर नहीं की जाती थी।
- रूसी साम्राज्य में जा़र द्वारा विजित कई गैर रूसी राष्ट्र भी सम्मिलित थे। जा़र ने इन लोगों पर रूसी भाषा लादी और उनकी संस्कृतियों का महत्व कम करने का पूरा प्रयास किया। इस प्रकार रूस में टकराव की स्थिति बनी हुई थी।
- राज परिवार में नैतिक पतन चरम सीमा पर था । निकोलस द्वितीय पूरी तरह अपनी पत्नी के दबाव में था जो स्वयं एक ढोंगी साधु रास्पुतिन के कहने पर चलती थी । ऐसे भ्रष्टाचारी शासन से जनता बहुत दुखी थी।
- जा़र ने अपने साम्राज्यवादी इच्छाओं की पूर्ति के लिए देश को प्रथम विश्वयुद्ध में झोंक दिया। परंतु वे राज्य के आंतरिक खोखले पन के कारण मोर्चे पर लड़े सैनिकों की और पूरा ध्यान न दे सका । परिणाम स्वरुप रुसी सेना बुरी तरह पराजित हुई। इससे लोगों के साथ साथ सेना में असंतोष फैल गया। अतः क्रांति द्वारा जा़र को शासन छोड़ने के लिए विवश कर दिया गया।
आशा है कि उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
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Answer:
उत्तर. रूसी लोगों की स्थिति, विशेष रूप से किसानों और कारखाने के श्रमिकों की तरह काम करने वाले लोगों की स्थिति बहुत दयनीय थी। यह मुख्य रूप से ज़ार निकोलस II की निरंकुश सरकार के कारण था। जिसने अपनी भ्रष्ट और दमनकारी नीतियों द्वारा इन लोगों का दिन-प्रतिदिन का जीवनयापन मुश्किल कर दिया था। ऐसी नीतियों के परिणामस्वरूप, 1917 में उनकी निरंकुशता ध्वस्त हो गई।
निम्नलिखित बिंदु रूस की कामकाजी आबादी की दयनीय स्थिति की पृष्ठभूमि को इंगित करते हैं जो 1917 में ज़ारवादी निरंकुशता के पतन का मुख्य कारण भी था:
1. किसानों ने भूमि पर काम किया पर उनकी अधिकांश उपज भूमि मालिकों और विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों के हाथों में चली गई। विभिन्न दमनकारी नीतियों और हताशा के कारण, अक्सर उन्होंने किराया देने से इनकार कर दिया और यहां तक कि जमींदारों की हत्या कर दी।
2. श्रमिकों की स्थिति भी बहुत ही विकट थी। वे कोई व्यापार नहीं बना सकते थे। अधिकांश उद्योग निजी उद्योगपतियों द्वारा चलाए जा रहे थे। कई बार इन श्रमिकों को न्यूनतम निश्चित मजदूरी भी नहीं मिलती थी। उनसे काम लेने की कोई सीमा नहीं थी जिसके परिणामस्वरूप उन्हें दिन में 12 – 15 घंटे काम करना पड़ता था।
3. ज़ार का निरंकुश शासन काफी अक्षम हो गया था। वह स्व-इच्छाधारी, भ्रष्ट और दमनकारी शासक था जिसने कभी लोगों की परवाह नहीं की ।
4. कार्ल मार्क्स की शिक्षाओं ने भी लोगों को एक मानक विद्रोह उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।
5. 1905 की क्रांति ने 1917 की क्रांति का एक ड्रेस रिहर्सल भी साबित किया।
6. पहले विश्व युद्ध में ज़ार की भागीदारी और हार ने ऊंट की पीठ तोड़ने के लिए आखिरी तिनका साबित कर दिया।