1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन का क्या महत्त्व था ?
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इस समय तक गांधीजी 6 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद 1927 में सक्रिय राजनीति में पुनः वापस लौट आए थे महात्मा गांधीजी दिसंबर 1928 के कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में शामिल हुए थे
कांग्रेस का पहला काम जुझारू वामपंथ से मेल मिलाप करना था दिसंबर 1929 में कांग्रेस का अधिवेशन लाहौर में हुआ था
लाहौर का कांग्रेस अधिवेशन ऐतिहासिक अधिवेशन कहलाया इस अधिवेशन के अध्यक्ष महात्मा गांधी जी को चुना गया था लेकिन उन्होंने अपनी जगह जवाहरलाल नेहरु को अध्यक्ष बनाया अथार्थ लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी
इस अधिवेशन में स्पष्ट कहा गया कि नेहरू रिपोर्ट को लागू करने की अवधि समाप्त हो गई है
⚜कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पारित किए गए कुछ ऐतिहासिक प्रस्ताव इस प्रकार है
1. इस अधिवेशन में नेहरू समिति की रिपोर्ट को बिल्कुल निरस्त घोषित कर दिया गया था
2. लाहौर कांग्रेस के अधिवेशन में पारित पूर्ण स्वराज्य के प्रस्ताव के अनुसार कांग्रेस के संविधान में स्वराज शब्द का अर्थ से अर्थ पूर्ण स्वतंत्रता या पूर्ण स्वराज्य होगा इसे ही अब राष्ट्रीय आंदोलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया
3. अब पूर्ण स्वाधीनता की मांग बुलंद की गई है जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि आज हमारा बस एक ही लक्ष्य है स्वाधीनता का लक्ष्य हमारे लिए स्वाधीनता के मायने हैं ब्रिटिश साम्राज्यवाद से पूर्ण स्वतंत्रता
इस अधिवेशन में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने की घोषणा की गई
संघर्ष का कार्य महात्मा गांधी गांधी जी पर छोड़ दिया गया और इस तरह राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधीजी के हाथों में दे दिया गया
भारत के पूर्ण स्वराज्य के लक्ष्य का समुचित समारोह पूर्वक और बड़े उत्साह पूर्ण ढंग से स्वागत किया गया जैसे ही 31 दिसंबर 1929 को मध्य रात्रि का घंटा बजा और कांग्रेस द्वारा कलकत्ता में 1928 में 1 वर्ष पूर्व दिए गए अल्टीमेटम की तारीख समाप्त हुई वैसे ही कांग्रेस के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू ने लाहौर में रावी नदी के तट पर भारतीय स्वतंत्रता का झंडा फहराया
कांग्रेस की नई कार्यसमिति की बैठक 2 जनवरी 1930 को इसमें 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वाधीनता दिवस संपूर्ण भारत में मनाने का निश्चित किया गया
इस दिन लोगों को महात्मा गांधी द्वारा तैयार किया गया पूर्ण स्वराज्य शपथ का वचन लेना था यह प्रतिज्ञा आने वाले वर्ष 1947 तक लाखों लोगों ने दोहराई थी
जब भारत स्वतंत्र हो गया और भारत का नया संविधान तैयार हो गया तो उसे भी 26 जनवरी को ही लागू किया गया था
26 जनवरी को इसी कारण से प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 1929 को जो प्रतिज्ञा भारत वासियों ली थी वह 26 जनवरी 1950 में पूरी हो गई थी
जब भारत का नया संविधान लागू किया गया था