1973
न 3. अपठित गढ्या श:
जग-जीवन में जो चिर महान,
सौट्यपूर्ण और सत्यप्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूं नाय ।
जिससे मानव - हित हो समान !
जिससे जीवन में मिले शक्ति
छूटे भय-संशय , अंधभक्ति,
मैं वह प्रकारा बन सकें नाथ।
मिल जावे जिसमें अखिल व्यक्ति
सही और पर(✅)का चिहन लगाओ
क) कवि ने चिर महान किसे कहा है ?
(i) मानव को
(1) ईश्वर को
ख) कवि कैसा प्रकाश बनना चाहता है ?
1) जो जीने की शक्ति देता है।
2) जिसमें मनुष्य सभी भेदभाव भुलाकार एक हो जाते हैं।
ग) कवि ने अखिल व्यक्ति का प्रयोग क्यों किया है
(1) कवि समस्त विश्व के व्यक्तियों की बात करना चाहता है |
(2) कवि अमीर लोगों की बात कहना चाहता है।
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Answer:
क. ईश्वर को
ख. जिसमें मनुष्य सभी भेदभाव भुलाकर एक हो जाते हैं।
ग. 1
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