1975 में केसवानंद भारती विवाद का संविधान संशोधन पर क्या प्रभाव पड़ा
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7 नवंबर 1975 को सुप्रीम कोर्ट केशवानंद भारती के मामले में प्रतिपादित मूल संरचना सिद्धांत का उपयोग करते हुए 39 वें संवैधानिक संशोधन को रद्द कर दिया। कोर्ट के अनुसार, संशोधन न्यायालय की न्यायिक समीक्षा की शक्ति को सीमित करता है, जो कि मूल संरचना का हिस्सा है।
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केसवानंद भारती केस का किस्सा पढ़ा जाना चाहिए. ताकि सनद रहे. कि अदालतों का संविधान के लिए वफादार होना कितना जरूरी है. कि जब अदालतें सरकार के आगे घुटने टेक देती हैं, तो देश का कितना बुरा हाल होता है. कि देश के भले के लिए न्यायपालिका का स्वतंत्र और मजबूत होना कितना जरूरी है. ये वो केस है, जिसे अगर इंदिरा जीत जातीं, तो शायद इस देश पर हमेशा के लिए कांग्रेस का राज हो जाता. ये किस्सा है केसवानंद भारती बनाम केरल सरकार केस का. सुप्रीम कोर्ट में 68 दिनों तक बहस चलती रही. और 68 दिनों बाद सुप्रीम कोर्ट ने आजाद भारत के न्यायिक इतिहास का सबसे अहम फैसला सुनाया. वो तारीख थी- 24 अप्रैल, 1973.
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