1980 के दौरान ज़िम्बाब्वे सरकार ने
संविधन में संशोधन निम्नलिखित कारण से
किया था
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जिम्बाब्वे को 1980 में मिली आजादी के बाद से ही वहां राबर्ट मुगाबे का राज कायम है. हाल में हुए राष्ट्रपति चुनावों में मुगाबे ने लगातार सातवीं बार जीत हासिल की है. जिम्बाब्वे की आर्थिक बदहाली के बावजूद आखिर क्या है मुगाबे की इस कामयाबी का राज, कौन हैं मुगाबे और कैसी है जिम्बाब्वे की आर्थिक हालत, इन्हीं सवालों पर नजर डाल रहा है आज का नॉलेज.
रॉबर्ट मुगाबे ने लगातार सातवीं बार जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत हासिल की. 89 वर्षीय मुगाबे को हाल में संपन्न राष्ट्रपति पद के चुनाव में 61 प्रतिशत मत मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी मौजूदा प्रधानमंत्री मॉर्गन स्वांगिराई को महज 31 प्रतिशत वोट हासिल हुए. इससे पहले मुगाबे की पार्टी जानू-पीएफ को संसदीय चुनाव में भी दो तिहाई बहुमत मिला. उसने 210 सदस्यीय संसद में 142 सीटें जीतीं. हालांकि स्वांगिराई की पार्टी मूवमेंट फॉर डेमोक्रेटिक चेंज (एमडीसीटी) ने मुगाबे की पार्टी पर बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगाये. इस चुनाव से पहले तक स्वांगिराय की पार्टी मुगाबे की पार्टी के साथ सत्ता में थी. 2008 के चुनावों के बाद से ही दोनों पार्टियां गठबंधन सरकार चला रही थीं.
जिम्बाब्बे (पुराना नाम- दक्षिणी रोडेशिया) को 1980 में ब्रिटेन से आजादी मिली थी, तब से सत्ता की बागडोर मुगाबे के हाथों में है. आजादी के बाद 1980 में वे पहले प्रधानमंत्री बने, जबकि 1987 से राष्ट्रपति पद पर लगातार काबिज हैं. मुगाबे ने जिम्बाब्वे की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभायी थी, पर 1987 में राष्ट्रपति बनने के बाद उनका शासन तानाशाही में बदल गया.
Explanation:
इस कारण संविधान में संसोधन किया गया