19वीं सदी में भारत की गरीब जनता पर मुद्रण संस्कृति का क्या प्रभाव पड़ां ?
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गुलामगिरी ने एक महान प्रभाव पैदा किया ।
Explanation:
गरीब लोगों पर प्रिंट संस्कृति के प्रभाव:
(i) सस्ते छोटी पुस्तकें मद्रास के बाजारों में लाई गईं और फिर बेच दी गईं।
(ii) सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थापना २० वीं सदी के प्रारंभ से पुस्तकों तक पहुँच को बढ़ाने के लिए की गई थी।
(iii) जब जातिगत भेदभाव के मुद्दे आंबेडकर, ज्योतिबा फुले द्वारा लिखे गए थे, तब इसे लोगों ने पढ़ा था। ज्योतिबा फुले की 'गुलामगिरी' ने निम्न जातियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को उजागर किया।
(iv) स्थानीय विरोध आंदोलनों और संप्रदायों ने प्राचीन धर्मग्रंथों की आलोचना की।
(v) कारखानों में श्रमिकों ने जाति और वर्ग शोषण के बीच संबंध दिखाने के लिए लिखा और प्रकाशित किया।
(vi) बैंगलोर कॉटन मिल के श्रमिकों ने खुद को शिक्षित करने के लिए पुस्तकालयों की स्थापना की।
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