19वीं सदी में भारत में महिलाओं की शिक्षा के विकास में कौन-कौन सी बाधाएं आई
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•भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की साक्षरता दर काफी कम है। वर्ष 2011 की जनगणना के आँकड़े दर्शाते हैं कि राजस्थान (52.12 प्रतिशत) और बिहार (51.50 प्रतिशत) में महिला शिक्षा की स्थिति काफी खराब है।
•जनगणना आँकड़े यह भी बताते हैं कि देश की महिला साक्षरता दर (64.46 प्रतिशत) देश की कुल साक्षरता दर (74.04 प्रतिशत) से भी कम है।
•बहुत कम लड़कियों का स्कूलों में दाखिला कराया जाता है और उनमें से भी कई बीच में ही स्कूल छोड़ देती हैं। इसके अलावा कई लड़कियाँ रूढ़िवादी सांस्कृतिक रवैये के कारण स्कूल नहीं जा पाती हैं।
•कई अध्ययनों के अनुसार, भारत में 15-24 वर्ष आयु वर्ग की युवा महिलाओं की बेरोज़गारी दर 11.5 प्रतिशत है, जबकि समान आयु वर्ग के युवा पुरुषों के मामले में यह 9.8 प्रतिशत है।
•वर्ष 2018 में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि 15-18 वर्ष आयु वर्ग की लगभग 39.4 प्रतिशत लड़कियाँ स्कूली शिक्षा हेतु किसी भी संस्थान में पंजीकृत नहीं हैं और इनमें से अधिकतर या तो घरेलू कार्यों में संलग्न होती हैं या भीख मांगने जैसे कार्यों में।आँकड़े यह भी बताते हैं कि भारत में अभी भी लगभग 145 मिलियन महिलाएँ हैं, जो पढ़ने या लिखने में असमर्थ हैं।
•उल्लेखनीय है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा स्थिति और अधिक गंभीर है।
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