19वीं शताब्दी में लोग लड़की को स्कूल जाने से क्यों मना कर रहे थे
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19वीं शताब्दी में लोग लड़कियाें काे स्कूल जाने से इसलिए मना करते थे क्याेकि उनहे लगता था कि अगर आखिर मे उनकी शादी ही करानी है ताे उनकाे स्कूल भेजने का क्या लाभ है।
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बंबई में कई सुधारकों और कलकत्ता में विद्यासागर ने लड़कियों के लिए स्कूल स्थापित किए। उन्नीसवीं सदी के मध्य में जब पहला स्कूल खोला गया तो बहुत से लोग स्कूलों से डरते थे। लोगों को डर था कि स्कूल लड़कियों को उनके घरेलू कर्तव्यों को पूरा करने से रोकेंगे।
- 19वीं शताब्दी में बालिकाओं की शिक्षा इतनी अनिवार्य नहीं थी। उनमें से कुछ अपनी कम मजदूरी के कारण लड़की को शिक्षित नहीं करते हैं और केवल लड़के को शिक्षित करने के लिए विश्वास करते हैं ताकि वह पैसा कमा सके और यह उनके लिए लाभ होगा। उनमें से कुछ अपने बच्चे को उनके लिंग के लिए भेदभाव करते हैं।
- उन्नीसवीं सदी के मध्य में जब पहले स्कूल खोले गए, तो बहुत से लोग उनसे डरते थे। उन्हें डर था कि स्कूल लड़कियों को घर से दूर ले जाएंगे, उन्हें घरेलू काम करने से रोकेंगे। इसके अलावा, लड़कियों को स्कूल पहुंचने के लिए सार्वजनिक स्थानों से गुजरना पड़ता है।
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