1आपका पापायापा
2 'हम पंछी उन्मुक्त गगन के ' कविता का भाव अपने शब्दों में लिखिए?
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व्याख्या - हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता में कवि शिवमंगल सिंह सुमन जी पंछी के माध्यम से मनुष्य जीवन में स्वतंत्रता के महत्व को दर्शाया है। कविता में पंछी अपनी व्यथा का वर्णन करता हुआ कहता है कि हम पंछी स्वतंत्र आकाश में उड़ने वाले हैं। अपना गान हम पिंजरों में गा नहीं पायेंगे। पिंजड़ा भले ही सोना का बना हो ,हमारे आकाश में उड़ने वाले पंख इससे टकराकर टूट जायेंगे। हम बहता हुआ पानी अर्थात नदियों का पानी पीने वाले हैं। हमारे लिए सोने की कटोरी में रखी हुई मैदा से कहीं भली नीम की कड़वी निबोरी है। हम भूखें प्यासे मर जाना पसंद करेंगे न कि पिंजड़े का गुलामी जीवन जीना। 1st stanja
व्याख्या - कविता में पंछी कहते हैं कि हमें सोने के पिंजड़े में बंद कर दिया गया है। इससे हम अपनी गति उडान ,सब कुछ भूल गए हैं।सपने में हम देखते हैं कि पेड़ों की ऊँची डालियों में हम झूल रहे हैं। पिंजड़ों की कैद में आने से पहले हम सोचते थे कि नीले आसमान की सीमा को नाप लेंगे। अपनी सूरज की जैसी लाल चोंच से तारों को जो अनार के दाने जैसे हैं ,उन्हें चुग लेते। यह सब मात्र कल्पना है ,क्योंकि हम पिंजरों के बंधन में कैद है। 2nd staja
व्याख्या - कविता में पंछी कहते हैं कि यदि हम आजाद होते तो सीमाहीन आकाश की सीमा को पार कर लेते। हमारे पंखों की उड़ान से आकाश की क्षितिज की प्रतिस्पर्धा होती।इस प्रतिस्पर्धा में हम आकाश की ऊँचाईयों को माप पाते या हमारे प्राण पंखेरू उड़ जाते।पंछी कहते हैं कि हमें भले ही रहने का स्थान न दो ,हमारे घोसलों को नष्ट कर डालो। किन्तु हम पंछी हैं। उड़ना ही हमारा काम है। अतः हमारे नैसर्गिक अधिकार अर्थात उड़ने में बंधन मत बांधों। 3rd stanja
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