2 = 10
हरे-हरे ये पात,
अनोखी आत्मिक
पता के साथ-साथ
है। परोपकारी का
बन जाता है और
। क्योंकि जन-
तर है कि जन-
दूसरों के लिए
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न मृदुल कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर।
प्रश्न-
(क) कवि और कविता का नाम लिखिए।
(ख) कवि किसे नवजीवन प्रदान करना चाहता
है?
। महत्व है?
।
(ग) 'प्रत्यूष मनोहर' से क्या तात्पर्य है?
(घ) कवि ने कोमल गात किसे कहा है और क्यों?
(ङ) इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
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आइऊऐदमढ
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भढथझःजढडभमरहूए
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