Hindi, asked by fgyruittvgfhu, 1 month ago

2+2+2=6
'हे भगवान! तब के लिए! इतना आयोजन! परम-पिता की इच्छा के
विरुद्ध इतना साहस! पिताजी क्या भीख न मिलेगी? क्या कोई हिन्द
भू-पृष्ठ पर न बचा रह जायेगा, जो ब्राह्मण को दो मुट्ठी अन्न दे सके ?
यह असम्भव है। फेर दीजिए पिताजी, मैं काँप रही हूँ इसकी चमक
आँखों को अन्धा बना रही है।"
1) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम बताइए।
ii)
रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
ii) इस गद्यांश में ममता की किस मनोवृत्ति को स्पष्ट किया गया है
P.T.O.​

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Answered by jissabaiju12
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k

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