2 2. निर्जीव नहीं, वह नारी है उसे
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समाज में अभी भी लिंग भेद व्याप्त है जिसे मिटाना जरूरी है क्योंकि बेटा-बेटी दोनों एक समान हैं। बेटियाँ भी अच्छी विद्या पाकर राष्ट्र के उत्थान में अपना योगदान दे रही हैं। इसके बाद भी स्त्री-पुरुष में विभेद किया जा रहा है जो स्त्री के साथ अन्याय हो रहा है।
Explanation:
(क) पग-नुपूर कंगन हार नहीं, तुम विद्या से श्रृंगार करो। अर्थ - हे नारी ! पैर में पायल, हाथ में कंगन और गले में हार पहनना हों अपना शृंगार मत समझो। आज तुझे विद्या से अपने को शृंगार करने का समय है।
(ख) वह दान दया की वस्तु नहीं, वह जीव नहीं वह नारी है। अर्थ - हे पुरुषो ! नारी को मात्र दान-दया का जीव मत मानो। वह पुरुषों के साथ-साथ चलने वाली नारी है।
(ग) उसे टेरेसा बन जीने दो, उसे इंदिरा बन जीने दो। अर्थ-हे पुरुषो। इसी नारी में कोई महान समाज सेविका मदर टेरेसा अथवा कोई इंदिरा भी बन
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