Social Sciences, asked by sumananjana40, 5 months ago

2-20
स्थानों की पूर्ति कीजिए
संयुक्त वन प्रबन्धन व्यवस्था में
का महत्वपूर्ण स्थान है
से वित्तीय सहायता प्राप्त

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Answered by sejal031
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संयुक्त वन प्रबन्धन-एक अध्ययन

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Author:अमित मित्रा

Source:योजना, अगस्त 1997

संयुक्त वन प्रबन्धन की अवधारणा और उसके वास्तविक क्रियान्वयन की समीक्षा करते हुए लेखक का कहना है कि इस कार्यक्रम में प्राथमिक महत्व उन लोगों को दिया जाना चाहिए जो निर्णय लेने की स्थिति में हैं, न कि वन विभाग को। इसके स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध हैं कि आवश्यकता पड़ने पर ग्रामीण समूहों ने इस क्षेत्र में अपनी क्षमता दिखाई है। लेखक के अनुसार कुछ समय बाद वन विभाग की भूमिका केवल सलाहकार और सहायक एजेन्सी तक सीमित रह जाएगी।

पहले से बिल्कुल हटकर अब 16 राज्यों में 15 हजार सामुदायिक समूह वन विभाग के साथ मिलकर 15 लाख हेक्टेयर वनों का प्रबन्ध देख रहे हैं। संयुक्त वन प्रबन्धन कार्यक्रम के तहत यह सम्भव हुआ है। इस कार्यक्रम को अक्सर लोकोन्मुख वन प्रबन्धन की ओर पहला कदम माना जाता है।

संयुक्त वन प्रबन्धन कार्यक्रम लागू होने के सात वर्ष बाद भी यह विशेष कारगर साबित नहीं हुआ है। राज्यों से मिल रहे संकेतों से यह पता चलता है कि यह कार्यक्रम भी अन्य सरकारी कार्यक्रमों की तरह केवल दस्तावेज बनकर रह गया है। सहभागिता और सतत विकास की अवधारणाओं पर आधारित होने के बावजूद कार्यक्रम के तहत लोगों को अपनी सम्पदा का खुद प्रबन्ध करने का कोई अधिकार मुश्किल से ही मिल पाया है। ऐसा मूल अवधारणा में किसी कमी की वजह से हुआ है या इसका क्रियान्वयन ठीक तरह से नहीं होने से, यह कहना मुश्किल है। क्या स्थिति में बदलाव आएगा? इस बारे में कार्यक्रम के समर्थकों का तर्क है कि यह तो एक प्रक्रिया की शुरुआत मात्र है और 150 वर्षों से चली आ रही प्रवृत्ति को बदलने में समय तो लगेगा ही। दूसरी ओर विरोधियों का कहना है कि ये तर्क आँखों में धूल झोंकने के समान है। उनका कहना है कि यह कार्यक्रम धन देने वाली अन्तरराष्ट्रीय एजेन्सी के दबाव में चलाया जा रहा है और इसका उद्देश्य फिर से जंगलों को हरा-भरा करने और उत्पादों को सस्ते मूल्य पर खरीदने के लिए चल रहे जनांदोलन का तोड़ना है।

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