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वस्तुपरक प्रश्न
अपठित गंधाश
नीचे दो गद्यांश दिए गए है। किसी एक गद्याश को ध्यानपूर्वक पढ़िये और उस
पर आधारित प्रश्नो के उत्तर दीजिए:-
गद्यांश-1
समस्त ग्रंथों एवं ज्ञानी, अनुभवी जनों का कहना है कि जीवन एक कर्मक्षेत्र है।
हमें कर्म के लिए जीवन मिला है। कठिनाइयाँ एवं दुख और कष्ट हमारे शत्रु हैं,
जिनका हमें सामना करना है और उनके विरुद्ध संघर्ष करके हमें विजयी बनना
है। अंग्रेजी के यशस्वी नाटककार शेक्सपीयर ने ठीक ही कहा है कि 'कायर
अपनी मृत्यु से पूर्व अनेक बार मृत्यु का अनुभव कर चुके होते हैं किन्तु
वीर एक से अधिक बार कभी नहीं मरते हैं।
समस्याएँ वस्तुतःजीवन का पर्याय हैं । यदि समस्याएँ न हो, तो आदमी प्रायः
अपने को निष्क्रिय समझने लगेगा । ये समस्याएँ जीवन की प्रगति का मार्ग
प्रशस्त करती हैं। समस्या को सुलझाते समय, उसका समाधान करते समय
व्यक्ति का श्रेष्ठतम तत्व उभरकर आता हैं। धर्म दर्शन, ज्ञान, मनोविज्ञान इन्हीं
प्रत्यनों की देन हैं। पुराणो में अनेक कथाएँ यह शिक्षा देती है कि मनुष्य
जीवन की हर स्थिति मे जीना सीखे व समस्या उत्पन्न होने पर उसके
समाधान के उपाय सोचे । जो व्यक्ति जितना उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य करेगा,
उतना ही उसके समक्ष समस्याएँ आएँगी और उनमे परिप्रेक्ष्य में ही उसकी
महानता का निर्धारण किया जाएगा।
दो महत्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं - प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती
है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक प्राचार्य ने विद्यालय
छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह सन्देश दिया था – तुम्हे जीवन में सफल होने
के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य
करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चले। सफलता हमें कमी
निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरूषो के अनुभवों का निष्कर्ष यह है
कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना लौकिक व पारलौकिक सभी
दृष्टियों से अहितकर है।
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार सबसे उचित विकल्पों का चयन कीजिए:-
हमे जीवन किस काम के लिए मिला है?
कर्म करने के लिए
सुख भोगने के लिए
ग) कठिनाइयाँ झेलने के लिए
कष्ट उठाने के लिए
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हमे जीवन कर्म करने के लिए मिला है
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