2. आज की कठिन स्थिति यह है कि आज चारों ओर दुःखों और विषमताओं की अग्निज्वाला
प्रज्वलित हो रही है। शांति के नाम पर होला हवाला हो रहा है। आज आदमी एक-दूसरे के
प्रति अंगार बनते जा रहा है। ऐसे समय में मुझे पूरा भरोसा है कि तुम ही अपेक्षित ताप का नाश
कर डालोंगे। आज यह भी हो रहा है कि चारों ओर मन प्राण में कीकर उग रहें हैं। शायद यह
जमाने का प्रचलन हो गया है। आज प्रायः मन मरूस्थल बन गया है, जिससे तन की प्यास बुझ
नहीं पा रही है। इस प्रकार चारों दिशाओं में प्यास की जलन बढ़ रही है। आज प्राणों की
अमृतमयी मनुहार से जो गतिशील कर सकता है, तो केवल तुम्हीं कर सकते हो। मुझे पूरा-पूरा
भरोसा है कि तुम्हें वसंत हवा बनकर इस तीखे वातावरण को रसमग्न कर सकोगे।
पन(क) उपयुक्त गद्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(a)समाश का सारांश लिखिए?
Tujाज की स्थिति कैसी है?
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आज की कठिन स्थिति यह है कि आज चारों ओर दुःखों और विषमताओं की अग्निज्वाला प्रज्वलित हो रही है। शांति के नाम पर होला हवाला हो रहा है। आज आदमी एक-दूसरे के प्रति अंगार बनते जा रहा है।2
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