2. आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल 'दोषों का पर्दाफ़ाश'
कर रहे हैं। इस प्रकार के समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क
सहित विचार लिखिए?
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पुनर्जागरण यूरोप में पहली बार कुछ समाचार प्रसारित हुए। इन हस्तलिखित समाचारपत्रों में युद्धों, आर्थिक स्थितियों और सामाजिक रीति-रिवाजों के बारे में समाचार होते थे और व्यापारियों के बीच प्रसारित होते थे। पहली बार छपी खबर 1400 के दशक के अंत में जर्मन पैम्फलेट्स में छपी, जिसमें ऐसी सामग्री थी जो अक्सर बेहद सनसनीखेज होती थी। अंग्रेजी में लिखा गया पहला समाचार पत्र द वीकली न्यूस था, जिसे 1621 में लंदन में प्रकाशित किया गया था। 1640 और 1650 के दशक में कई पत्रों का अनुसरण किया गया था। 1690 में, बोस्टन में रिचर्ड पियर्स और बेंजामिन हैरिस द्वारा पहला अमेरिकी अखबार प्रकाशित किया गया था। हालाँकि, इसके पास सरकार से प्रकाशित होने की अनुमति नहीं थी और इसे तुरंत दबा दिया गया था।
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उत्तर : टीवी चैनल व समाचार पत्रों द्वारा जो ' दोषों का पर्दाफ़ाश ' किया जा रहा है वो पहले किसी सीमा तक सही हुआ करता था । परन्तु , आज टीवी चैनलों और समाचार पत्रों की भरमार के कारण उनके बीच में जनमें श्रेष्ठ - दिखाने - की - होड़ ने इसे धंधा बना दिया है । इससे लोग दोनों पक्षों की सच्चाई जाने बिना ही अपनी तरफ़ से दोषारोपण आरम्भ कर देते हैं । इस बात को तनिक भी नहीं सोचते कि इससे किसी के जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है । समाचार पत्र और चैनल सिर्फ अपनी T.R.P का ही ध्यान रखते हैं । सच तो जैसे कुछ होता ही नहीं है । जैसे आरूषि हत्याकांड में आरूषि के पिता पर हत्या का आरोप लगाया गया । मीडिया ने भी इस विषय को खूब भुनाया परन्तु अंत में वो निर्दोष पाये गये । जितनी बड़ी हानि तलवार दंपत्ति को हुई , उसका कोई हिसाब नहीं है पर समाचार पत्रों व टीवी चैनलों के लिए यह T.R.P. बढ़ाने का एक साधन मात्र था , सच्चाई सामने लाने का नहीं । दूसरा उदाहरण एक स्कूल शिक्षिका पर स्कूल की लड़कियों को दे f व्यापार में डालने का आरोप लगाया गया । एक न्यूज़ चैनल इसका पर्दाफ़ाश किया गया था परन्तु जब सच सामने आय पाया गया कि वो बिल्कुल निर्दोष थी । क्या उस चैनल द्वारा G + गया कार्य उचित था ? जो भी हो , इस से चैनलों की सार्थकत You Tube सवाल ज़रूर उठता है ।