2 आओ, कुछ करें नलिखित गद्यांशों को पढ़िए तथा इनके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- ३) एक साधु ने नदी में स्नान करते समय एक बिच्छू को बहते हुए देखा। उसकी प्राण-रक्षा के लिए साधु ने उसे हथेली में उठा लिया बिच्छू ने डंक मारा। साधु के हाथ के हिल जाने से वह फिर पानी में गिर गया। साधु उसे बार-बार बचाने का प्रयास करता रहा, बिच्छू बार-बार डंक मारता रहा। एक जिज्ञासु ने पूछा- “महाराज, यह दुष्ट बिच्छू आपको डंक मारे जा रहा है, तब भी आप इसे डूबने क्यों नहीं देते?" साधु ने हंसकर कहा- "बच्चा, जब यह बिच्छू होकर भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ पा रहा, तब मैं मनुष्य होकर परोपकार का भाव कैसे छोड़ सकता हूँ?"(परोपकार जब स्वभाव का अंग बन जाता है तो वह व्यक्ति के व्यक्तित्व में दिखाई देने लगता है। परोपकारी कभी दिखावा नहीं करता। शुद्ध परोपकार की भावना प्रकृति में ही है। नवजात शिशु कितना असहाय होता है, वह पूर्णतः परावलंबी होता है। परोपकार के लिए सोचने की जरूरत नहीं है। यह सारा विश्व परोपकार का क्षेत्र है। हमारे जीवन पर इतने लोगों का उपकार होता है कि हम तन-मन-धन से आजीवन परोपकार करके भी उऋण नहीं हो सकते। प्रश्न- (i/ साधु ने स्नान करते समय क्या देखा और उसने क्या किया? ने (ii) जिज्ञासु व्यक्ति को उत्तर देते हुए साधु ने क्या कहा? (i) परोपकारी व्यक्ति की क्या विशेषता होती है? (iv) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
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उत्तर 1 साधु ने नदी में स्नान करते समय एक डूबते हुए बिच्छू को देखा और उसे बचने का प्रयास किया.
जिज्ञासु व्यक्ति को उत्तर देते ह साधु ने कहा कि यदि ये बिच्छू होकर अपना स्वभाव नहीं छोड़ रहा तो में मनुष्य होकर अपना स्वभाव कैसे छोड़ दू
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