2. आपकी मौसी विदेश में कई वर्षों से रह रही है। वह अब वापस स्वदेश आना चाहती है। उन्होंने आपसे भारत के आज के वातावरण, घरों की स्थिति और दिन-प्रतिदिन की समस्याओं के विषय में पूछा है । उनके पत्र का उत्तर देते हुए आज की अपने देश की स्थिति के बारे में विस्तार से लिखिए।
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भारत की राजधानी दिल्ली में रह रहे हज़ारों ग़रीबों में से मोहम्मद आलम एक हैं. वो सरकार की ओर से मिलने वाले राशन के लिए लगने वाली कतार में खड़े हैं. अपने बच्चे को गोद में लिए मोहम्मद आलम सरकारी दाल-चावल मिलने के इंतज़ार में हैं.
जिस फ़ैक्ट्री में वो दैनिक मज़दूरी करते थे वो बंद हो गई है और उनकी आमदनी का ज़रिया भी ठप हो गया है. आने वाले वक़्त में आलम अपने परिवार का पेट कैसे भरेंगे इसकी चिंता उन्हें सता रही है. वो कहते हैं, ''मुझे नहीं पता मैं कैसे रहूंगा. परिवार का पेट भरने के लिए मुझे पैसे उधार लेने पड़ेंगे.''
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उसी दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहती हैं कि ''कोई भी भूखा न रहे सरकार इसका प्रयास कर रही है.'' लेकिन जिन कतारों में आलम जैसे लोग खड़े हैं वो बहुत लंबी हैं और खाने की मात्रा पर्याप्त नहीं है.
कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से जिस वक़्त देश में लाखों लोग घरों में हैं और वो ऑनलाइन डिलिवरी सिस्टम का भरपूर फायदा उठा रहे हैं और घर बैठे मनचाही चीज़ें भी हासिल कर पा रहे हैं, उसी वक़्त देश में हज़ारों लोग सड़कों पर हैं और उनके सामने रोज़ीरोटी का संकट है.
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