Hindi, asked by sarweshpandey, 7 months ago

2.
आर व्यजन साध में अंतर स्पष्ट कीजिए।
निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कीजिए-
(क) यथार्थ
(ख) परीक्षा
(ग) नमस्ते
(घ) उज्ज्वल
(ङ) स्वेच्छा
(ज) इत्यादि
(झ) पर्यावरण
(ब) मनोरंजन
(ट) नायक
(ठ) दिग्गज
(ड) उल्लास
(ढ) निष्काम
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(च) रमेश
(छ) भानूदय​

Answers

Answered by rajvaibhav004
1

Answer:

निकटवर्ती ध्वनियाँ आपस में मिल जाती हैं और एक नया रूप धारण करती हैं तब उसे संधि कहते हैं; जैसे-सूर्य+ उदय-सूर्योदय।

यहाँ ‘सूर्य’ की अंतिम ध्वनि ‘अ’ तथा ‘उदय’ की प्रारंभिक ध्वनि ‘उ’ पास-पास आकर एक नया रूप ‘ओ’ बना रही हैं। इस परिवर्तन या विकार का नाम संधि है।

कुछ और उदाहरण –

रेखा + अंकित = रेखांकित

राका + ईश = राकेश

लोक + उक्ति = लोकोक्ति

पा + अन = पवन

अति + अंत = अत्यंत

संधि के भेद – संधि के तीन भेद हैं –

स्वर संधि

व्यंजन संधि

विसर्ग संधि।

1. स्वर संधि- दो स्वरों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं; जैसे –

शिव+आलय=शिवालय

महा+आत्मा महात्मा

नर-ईश-नरेश

एक-एक एकैक

स्वर संधि के भेद –

स्वर संधि के पाँच भेद हैं –

(क) दीर्घ संधि

(ख) गुण संधि

(ग) वृद्धि संधि

(घ) यण संधि

(ङ) अयादि संधि।

(क) दीर्घ संधि-जब ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ से परे क्रमशः ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आए तो दोनों मिलकर आ, ई, ऊ

हो जाते हैं, जैसे- शास्त्र + अर्थ = शास्त्रार्थ, धर्म + अर्थ = धर्मार्थ

(a)

(ख) गुण संधि-यदि अ और आ के आगे इ, ई, उ, क, ऋ हो तो दोनों के मिलने से ए, ओ, औ तथा अर हो जाता है;

जैसे –

(a)

Explanation:

घ) यण संधि-यदि इ, ई,उ, ऊ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आए तो इ, ई का अय, उ, ऊ का व तथा ऋ का ‘र’ हो जाता है; जैसे –

(ङ) अयादि संधि-जब ए/ऐ, ओ/औ के बाद कोई भिन्न स्वर आता है तो इनके स्थान पर ए-अय, ऐ-आय, ओ-अव तथा औ-आव में बदल जाता है; जैसे –

2. व्यंजन संधि – व्यंजन संधि का स्वर या व्यंजन से मेल होने पर जो परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं।

उदाहरण –

दिक् + अंबर = दिगंबर

जगत् + अंबा = जगदंबा

वाक् + जाल = वाग्जाल

दिग् + दर्शन = दिग्दर्शन

तत् + आकार = तदाकार

उत् + घाटन = उद्घाटन

सत् + उपयोग = सदुपयोग

सम् + भावना = संभावना

सम् + ध्या = संध्या

सम् + सार = संसार

जगत् + नाथ = जगन्नाथ

सत् + मार्ग = सन्मार्ग

उत् + माद = उन्माद

उत् + ज्वल = उज्ज्वल

उत् + नति = उन्नति

उत् + नयन = उन्नयन

उत् + चारण = उच्चारण

उत् + लास = उल्लास

उत् + लेख = उल्लेख

उत् + धरण = उद्धरण

वि + षाद = विषाद

प्र + नाम = प्रणाम

उत् + हार = उद्धार

तरु + छाया = तरुच्छाया

राम + अयन = रामायण

परि + नाम = परिणाम

सम् + चार = संचार

3. विसर्ग संधि-विसर्ग (:) के बाद स्वर या व्यंजन आने पर उत्पन्न विकार को विसर्ग संधि कहते हैं; जैसे –

अधः + मुखी = अधोमुखी

अधः + गति = अधोगति

मनः + रथ = मनोरथ

मनः + हर = मनोहर

दुः + बल = दुर्बल

निः + उत्साह = निरुत्साह

दुः + कर = दुष्कर

परिः + छेद = परिच्छेद

हरिः + चंद्र = हरिश्चंद्र

निः + पक्ष = निष्पक्ष

नमः + ते = नमस्ते

निः + तेज = निष्तेज

निः + रव = नीरव

मनः + बल = मनोबल

तपः + वन = तपोवन

मनः + बल = मनोबल

निः + आशा = निराशा

निः + चल = निश्चल

दुः + कर्म = दुष्कर्म

निः + दय = निर्दय

निः + प्राण = निष्प्राण

नमः + कार = नमस्कार

निः + संग = निस्संग

निः + रोग = निहरोग

दु: + जन = दुर्जन

प्रश्नः 1.

निम्नलिखित शब्दों में संधि कीजिए –

अनु + एषण , अभि + उदय

दु: + उपयोग , रमा + इंद्र

महा + उदधि , दिन + अंत

अति + आचार , प्रति + अंग

पीत + अंबर , जन्म + उत्सव

चरम + उत्कर्ष , महा + ईश्वर

कारा + आवास , काल + अंतर

अरुण + उदय , द्राक्ष + आसव

सर्व + अधिक , नील + ईष

परम + ईश्वर , अल्प + उक्ति

प्राण + आयाम , अति + आचार

व्यंग्य + आत्मक , पंच + आयत

वन + उत्सव , एक + एक

अधि + ईश्वर , राका + ईश

पंच + अरिष्ट , उत् + चारण

उत्तरः

अन्वेषण, अभ्युदय

दुरुपयोग, रामेंद्र

महोदधि , दिनांत

अत्याचार , प्रत्यंग

पीतांबर , जन्मोत्सव

चरमोत्कर्ष , महैश्वर

कारावास , कातांतर

अरुणोदय , प्राक्षासव

सर्वाधिक , नीलेश

परमेश्वर , अल्पोक्ति

प्राणायाम , अत्याचार

व्यंग्यात्मक , पंचायत

वनोत्सव , एकैक

अधीश्वर , राकेश

पंचारिष्ट , उच्चारण

प्रश्नः 2.

निम्नलिखित शब्दों में संधि-विच्छेद कीजिए –

परमेश्वर , इत्यादि

शिवालय , गिरींद्र

विद्यार्थी , अनाथालय

यद्यपि , अत्याचार

वनौषधि , तल्लीन

पूर्वोक्ति , अन्यार्थ

परमौज , गजेंद्र

ज्ञानोदय , प्रत्यंग

आशीर्वाद , अभीष्ट

सूक्ति , सिंधूमि

वधूर्मि , संचित

हतोत्साहित , वाचनालय

अस्ताचल , लोकैक्य

अखिलेश , धर्मावलंबी

हर्षातिरेक , वक्रोक्ति

उत्तरः

पर + ईश्वर , इति + आदि

शिव + आलय , गिरि + इंद्र

विद्या + अर्थी , अनाथ + आलय

यदि + अपि , अति + आचार

वन + ओषधि , तत् + लीन

पूर्व + उक्ति , अन्य + अर्थ

परम + ओज , गज + इंद्र

ज्ञान + उदय , प्रति + अंग

आशी: + वाद , अभि + इष्ट

सु + उक्ति , सिंधु + ऊर्मि

वधू + ऊर्मि , सम् + चित

ह् + उत्साहित , लोक + एक्य

अखिल + ईश , धर्म + अवलंबी

हर्ष + अतिरेक , वक्र + उक्ति

ज्ञान + उदय , प्रति + अंग

Answered by gr321983
0

Answer:

such fun

651 + 99 - 69 + 1

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